रेनबो न्यूज़ इंडिया * 8 जून 2022
उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले की जोहार घाटी के एक दर्जन से ज्यादा सीमांत गांवों के पूर्व नौकरशाह और अर्द्ध सैनिक बलों के कर्मचारियों ने सेवानिवृत्तिा के बाद का अपना जीवन अपने खाली पडे़ गांवों को फिर से आबाद करने और उन्हें खुशहाल बनाने के लिए समर्पित करने का निर्णय किया है ।
पूर्व नौकरशाहों एवं बलों के कर्माचारियों का मानना है कि सीमांत गांवों के पारंपरिक व्यवसायों को पुन र्जीवित कर तथा साहसिक खेल गतिविधियों को बढावा देकर उन्हें मजबूत बनाया जा सकता है । उत्तराखंड के सीमांत गांवों से रोजगार की तलाश में सालों से बडे पैमाने पर पलायन होता रहा है ।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी सुरेंद्र सिंह पांगती की अध्यक्षता में सोमवार को मुनस्यारी की बैठक में वक्ताओं ने कहा कि वह राज्य तथा केंद्र की सरकारों पर दबाव डालेंगे कि ऐसी नीतियां बनायी जाएं जिनसे तिब्बत के साथ 1962 तक होते रहे व्यापार जैसे पारंपरिक व्यवसाय बहाल हों ।
इस बैठक को आयोजित करने वाली संस्था मल्ला जोहार विकास समिति के प्रमुख और भारत तिब्बत सीमा बल के पूर्व अधिकारी श्रीराम धर्मशक्तू ने बताया कि बैठक में वक्ताओं ने यह भी मांग की हाल में व्यास घाटी में हुई साइकिल रैली जैसे साहसिक खेलों को जौहार घाटी में भी बढावा दिया जाना चाहिए ।
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