रेनबो न्यूज़ इंडिया*5 अगस्त 2022
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के सभी 13 जिलों में एक-एक ‘संस्कृत- ग्राम’ विकसित करने का निर्णय लिया है। यानी हर जिले में एक ऐसा गांव होगा जहां के लोग संस्कृत भाषा में ही बातचीत किया करेंगे।
उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने बृहस्पतिवार को कहा कि इन गांवों के निवासियों को प्राचीन भारतीय भाषा को दैनिक बोलचाल में इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण विशेषज्ञों द्वारा दिया जाएगा । संस्कृत प्रदेश की दूसरी आधिकारिक भाषा है।
संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए इतने बड़े पैमाने पर इस प्रकार की पहल करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है । कर्नाटक में एक गांव है जहां सिर्फ संस्कृत बोली जाती है।
रावत ने कहा कि चयनित गांवों में संस्कृत शिक्षक भेजे जाएंगे जो स्थानीय लोगों को इस भाषा में बोलना सिखाएंगे।
उन्होंने कहा कि लोगों को वेद और पुराण भी पढ़ाए जाएंगे जिससे वे फर्राटे से संस्कृत बोलना सीख सकें ।
मंत्री ने बताया कि ‘संस्कृत ग्राम’ कहे जाने वाले ऐसे हरेक गांव में प्राचीन भारतीय संस्कृति केंद्र भी होगा ।
उन्होंने कहा, ‘ नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों की भाषा बोलनी आनी चाहिए । नई पीढ़ी को अपनी जड़ों तक ले जाने के अलावा ये गांव देश और विदेश से आने वाले लोगों के लिए भारत की प्राचीन संस्कृति की झलक भी पेश करेगा।”
संस्कृत गांव विकसित करने का विचार पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में आया था, लेकिन योजना परवान नहीं चढ़ पाई थी और बागेश्वर और चमोली जिलों में केवल पायलट परियोजना तक ही सीमित रह गयी थी ।
हालांकि, धनसिंह रावत ने कहा कि इस बार यह योजना पूरी तरह लागू की जाएगी ।
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