गीता जयन्ती: महाविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा  श्लोकोच्चारण और निबन्ध प्रतियोगिओं का आयोजन

गीता जयन्ती: महाविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा श्लोकोच्चारण और निबन्ध प्रतियोगिओं का आयोजन

रेनबो न्यूज़ इंडिया * 15 दिसंबर 2021

कोटद्वार। गीता जयन्ती के उपलक्ष्य में डॉ० पी० द० ब० राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार के संस्कृत विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा दिनांक 14 दिसंबर को गीता श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता का तथा 15 दिसंबर को निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। आयोजित प्रतियोगिता का शीर्षक “गीता सुगीता कर्तव्या” रखा गया।

दोनों प्रतियोगिताओ में छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर प्रतिभाग किया। गीता श्लोकोच्चारण में छात्र-छात्राओं ने गीता में निहित तत्वों कर्मयोग, भक्तियोग, कर्म योग आदि अनेकों विषयों पर गायन कला के माध्यम से अपने भावों को अभिव्यक्त किया।

डॉ० अरुणिमा संस्कृत विभाग प्रभारी ने श्रीमदभगवतगीता की वर्तमान समय मे उपयोगिता और आवश्यकता पर विधिवत प्रकाश डालते हुए कहा कि गीता सर्वशास्त्रमयी है। सत-असत विवेक की अवस्था में साधक द्वारा किया गया निष्कामकर्म अज्ञान एवं मोहनाशक है, किन्तु तत्वज्ञानी द्वारा किया गया निष्काम कर्म लोकहितकारी है। यही नहीं गीता के प्रत्येक श्लोक के प्रत्येक शब्द ज्ञानमयी ज्योत्स्ना से ओतप्रोत हैं।

अंत में डॉ० रोशनी असवाल संस्कृत विभाग द्वारा सम्मिलित समस्त प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए गीता माहात्मय पर प्रकाश डालते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया गया। साथ ही इस अवसर पर प्राध्यापक डॉ० मनोज एवं डॉ० प्रियम अग्रवाल ने भी अपने विचार व्यक्त कर प्रतिभागियों को ऐसे कार्य करने हेतु उत्साहित किया।

इस अवसर पर महाविद्यालय की संरक्षिका प्रो० जानकी पंवार द्वारा बताया गया कि गीता उपनिषद का सार है। वेद भगवान का निश्वास है और गीता भगवान की वाणी है। गीता सागर का भी सागर है। गीता के अनुसार “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” कहकर कर्म की इस गहनता को जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया। निश्चित ही गीता अमृतमयी है, इसमें लेश मात्र भी संदेह नहीं है, क्योंकि गीता मानवों को दुःख निवृत्ति का उपाय बताकर परम सुख की ओर अग्रसर करती है।

श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर कु० आँचल एमए तृतीय सेम, द्वितीय स्थान पर प्रकृति बीए प्रथम वर्ष, तृतीय स्थान पर अभिषेक नेगी बीए प्रथम वर्ष रहे।

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