रेनबो न्यूज़ इंडिया *12 सितंबर 2022
देहरादून, 12 सितम्बर। उत्तराखण्ड की हल्दी को नया बाजार देगा ग्राफिक एरा। प्रोजेक्ट ’गाजणा’ के तहत ग्राफिक एरा व यूकोस्ट के सहयोग से उत्तराखण्ड के हिमालीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली उच्च कुर्कुमिन युक्त हल्दी को देश-विदेश में कोने-कोने तक पहुंचाएगा। इससे न सिर्फ उत्तराखण्ड से पलायन रूकेगा बल्कि गांवों की आर्थिकी मजबूत और बंजर पड़ी भूमी भी गुलजार होगी।
देश में उगाई जाने वाली हल्दी में अमूमन 5-6 प्रतिशत कुर्कुमिन पाया जाता है। ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय के लाइफ साइंस विभाग द्वारा किए गए शोध में उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में उगाई जाने वाली हल्दी में इसकी मात्रा 9.5 से 10 प्रतिशत पाई गई। इसके बाद विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक तरीकों से इन क्षेत्रों में हल्दी की खेती की।
आज ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के डायरेक्टर इंडस्ट्रीज सुबोध नौटियाल की मौजूदगी में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० संजय जसोला आदि लोगों ने उच्च कुर्कुमिन युक्त हल्दी को बाजार में लांच किया।

इस अवसर पर सुधीर नौटियाल, निदेशक, उद्योग विभाग उत्तराखंड ने कहा की बंज़र भूमि को रोजगार देने लायक बनाकर, उत्तराखंड की उच्च कुर्कुमिन युक्त हल्दी को बाजार में लेकर पलायन रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस रोजगार परख विकल्प से गाँव गाँव की आर्थिकी सुदृढ़ होगी, पलायन रुकेगा और बंजर भूमि गुलज़ार होगी. साथ ही “गाजणा” प्रोडक्ट एक अभिनव प्रयोग हो सकता है।
प्रो० संजय जसोला, कुलपति, ग्राफ़िक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी ने बधाई देते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि विगत कई वर्षों से विश्वविद्यालय शोध कार्यों में जुटा है व इस तरह का प्रयास बहुत ही प्रोत्साहित करने वाला है।
प्रो० पंकज गौतम, विभागाध्यक्ष, लाइफ साइंसेज ने कहा कि 2016 से शुरू हुए इस नये विभाग ने बहुत कम समय में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान बना लिया है.

प्रो० आशीष थपलियाल, द टर्मारिक प्रोजेक्ट – परियोजना के निदेशक ने बताया कि उनकी टीम अगले चार सालों में 150 टन क्षमता तक का प्रोडक्शन करने की योजना बना रही है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने में जैव प्रौद्योगिकी तकनीक के माध्यम से धरातल में उतारा जायेगा। उन्होंने बताया कि वो 2008 में अमेरिका से लौटने के पहले से ही गांव से जुड़े हैं और पहाड़ों में किसान को जंगली जानवरों से फसलों को बहुत नुकसान होता देख रहे हैं – इसलिए भी हल्दी की खेती पर जोर है क्योंकि इसको बन्दर और गुणी नुकसान नहीं करता।
इस प्रोडक्ट को गाँव में उगा कर बाज़ार तक लाने में प्रो० मधु थपलियाल पी जी कॉलेज उत्तरकाशी की भी प्रमुख भूमिका है।
शोध टीम के द्वारा – उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों से अधिक कुर्कुमिन युक्त हल्दी को एक स्टार्ट-अप के माध्यम से बाज़ार में लाई गई है। इस टीम का मार्गदर्शन यूकास्ट के पूर्व डीजीपी डॉ० राजेंद्र डोभाल ने किया है तथा इस शोध कार्य को आगे बढाने के लिये प्रो० डॉ० कमल घनशाला, संस्थापक ग्राफ़िक एरा ग्रुप एवं प्रो० डॉ० संजय जसोला, कुलपति ग्राफ़िक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी का योगदान है।
शोध टीम के मेम्बेर्स में डॉ० उपेन्द्र शर्मा, आईएच्बीटी (सीएसआईआर) पालमपुर, हिमाचल प्रदेश, प्रो० मनु पन्त बडोनी, डॉ० प्रभाकर सेमवाल, ग्राफ़िक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी तथा प्रो० मधु थपलियाल, पी जी कॉलेज उत्तरकाशी आदि शामिल हैं। इस परियोजन में श्री सचिन पंवार एवं श्री दीपक राणा ने प्रोजेक्ट स्टाफ की अहम् भूमिका निभायी है.
इस प्रोडक्ट का नाम गाजणा पट्टी के नाम पर – “गाजणा” – रखा गया है। इस क्षेत्र में एक टेक्नोलॉजी रिसोर्स सेंटर (टीआरसी) को ग्राफ़िक एरा एवं यूकास्ट की मदद से स्थापित किया गया है। इस टीआरसी का उद्देश्य भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत वोकल फॉर लोकल और स्टार्ट उप उत्तराखंड पहल को साकार करना है।
इस टीम के के कार्डिनेटर डॉ० डी पी उनियाल, जॉइंट डायरेक्टर यूकोस्ट, डॉ० आशुतोष मिश्रा तथा डॉ अपर्णा सरीन हैं। शोध में डॉ० विनय नौटियाल – पी जी कॉलेज गोपेश्वर, प्रो० सुपती मझाव – नार्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी शिल्लोंग, लीजो थॉमस – आईआईएसआर कोज़िकोदाई केरल का भी सहयोग रहा है।
कार्यक्रम में प्रो० भास्कर पन्त, डायरेक्टर रिसर्च, प्रो० विकास त्रिपाठी, प्रो० निशांत राय, प्रो० नवीन कुमार, प्रो० नवनीत रावत, विभाग के शोधार्थियों, समस्त प्राध्यापक वर्ग तथा छात्रों ने प्रतिभाग किया।
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