देहरादून (रेनबो न्यूज़), 27 जून। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी ने बेकार जाने वाली ऊर्जा से बिजली बनाने की एक नई तकनीक खोज निकाली। इसके जरिये सड़कों का यातायात हो या किसी इंजन से निकलने वाली गर्मी, सब बिजली के उत्पादन का जरिया बन सकते हैं। इस बड़ी खोज का पेटेंट ग्राफिक एरा के नाम दर्ज करके केंद्र सरकार ने इस पर अपनी मुहर लगा दी है। ग्राफिक एरा के वैज्ञानिक डॉ वारिज पंवार ने ऊर्जा की समस्या दूर करने वाली यह बड़ी खोज की है।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के डॉ० वारिज पंवार ने बताया कि पॉलीमर शीट में कार्बन नैनो फाइबर और इलेक्ट्रोलाइट मिलाकर एक खास तरह की मेम्ब्रेन तैयार की गई है। यह काली प्लास्टिक शीट एक कपड़े जैसी नजर आती है। किसी सड़क पर इसे बिछाकर बैटरी से जोड़ दिया जाए, तो ट्रैफिक चलने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को यह तुरंत बिजली में बदल देगी। इस बिजली को कैपेसिटर/बैटरी में एकत्र भी किया जा सकेगा। जितना ज्यादा ट्रैफिक होगा, उतनी ज्यादा बिजली का उत्पादन इसके जरिये किया जा सकता है। इसके अलावा, ज्यादा गर्म होने वाले इंजन और अन्य उपकरणों पर इसे लगाकर उनसे निकलने वाली ऊष्मा से भी बिजली बनाई जा सकती है।
डॉ० वारिज ने बताया कि ग्राफिक एरा की सेंसर एंड एक्चुएटर लैब में तीन महीने लगातार प्रयोग करने के बाद इस खोज में कामयाबी मिली है। इस मेम्ब्रेन का उपयोग उन इलाकों में भी किया जा सकता है, जहां बिजली उपलब्ध नहीं है। इसकी लागत भी बहुत कम है। इसका उपयोग बिजली रहित इलाकों में वायरलेस, मोबाइल, रोशनी आदि के लिए किया जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में इसका उपयोग करके अतिरिक्त बिजली उत्पादन किया जा सकेगा।
इस बड़ी खोज पर ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ० कमल घनशाला ने डॉ० वारिज पंवार और उनके साथ रहे रिसर्च स्कॉलर लोकेश सिंह पंवार को बधाई देते हुए कहा कि ऊर्जा उत्पादन का एक नया विकल्प देने के कारण यह आविष्कार बहुत महत्वपूर्ण है। इससे ऊर्जा की कमी से उत्पन्न समस्याओं को कम करने में मदद मिलेगी। खासतौर से जिन दुर्गम इलाकों में बिजली नहीं है, वहां इसकी उपयोगिता बहुत ज्यादा होगी।
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