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उत्तराखंड के सात सरकारी विश्वविद्यालयों में 134 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ियां,खुली पोल

उत्तराखंड के सात सरकारी विश्वविद्यालयों में 134 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ियां,खुली पोल

उत्तराखंड के सात सरकारी विश्वविद्यालयों में 134 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं। इसका खुलासा विधानसभा सत्र के दौरान सदन पटल पर रखी गई लेखा रिपोर्ट से हुआ है। 

वर्ष 2021-22 की लेखा रिपोर्ट के अनुसार, विश्वविद्यालय सरकार की अनुमति के बिना शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती के साथ-साथ सेवा विस्तार भी दे रहे थे। 

वर्ष 2021-22 की लेखा रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड मुक्त विवि, आयुर्वेद विवि, पंतनगर विवि, तकनीकी विश्वविद्यालय, कुमाऊं विवि, संस्कृत विवि और दून विवि ने 134 करोड़ बिना शासन की अनुमति के ही खर्च कर दिए।

रिपोर्ट में कहा गया है, मुक्त विश्वविद्यालय ने बिना पद सृजित किए 38 लोगों को नियुक्त किया, जिन्हें अनियमित रूप से 40.58 लाख रुपये का भुगतान किया गया, साथ ही बिना पद सृजित किए एक निश्चित वेतन पर प्रशासनिक और शैक्षिक सलाहकारों की नियुक्ति की गई, जिससे 1,44,77,000 रुपये का अनियमित भुगतान हुआ। इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने तीन वर्षों में 3.15 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि भी समायोजित नहीं की।

रिपोर्ट में कहा गया है, पंतनगर विश्वविद्यालय ने सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का लाभ देकर उन लोगों को गलत तरीके से 35.89 करोड़ रुपये का भुगतान किया है जो करियर उन्नति योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 12.91 लाख रुपये की खरीदारी नियमों के मुताबिक नहीं की गई।

इसी तरह, राज्य में संस्कृत विश्वविद्यालय ने विभिन्न कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को मान्यता देकर 4 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ प्राप्त किया है।  

रिपोर्ट के मुताबिक, कुमाऊं विश्वविद्यालय में परीक्षा प्रक्रिया के कम्प्यूटरीकरण के लिए एक फर्म को 23,80,000 रुपये अधिक का भुगतान किया गया।

 तकनीकी विवि ने अधिक भुगतान किया है जिसके बिलों का पता नहीं है। बता दें कि परीक्षा विभाग के पेपर प्रिंटिंग पर ज्यादा दर पर जीएसटी भुगतान किए जाने से 2.87 लाख का ज्यादा भुगतान किया गया है।

आयुर्वेद विश्वविद्यालय के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है, अधिकारियों ने ऑनलाइन काउंसलिंग का पैसा सेवा प्रदाता फर्म के खाते में जमा कर दिया और कंपनी ने अब तक 18.48 लाख रुपये वापस नहीं किए हैं, जबकि सुरक्षा सेवा प्रदाता को पैनल से 35 लाख रुपये अधिक का भुगतान किया गया था।

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