हरिद्वार। विगत काफी समय से राज्य की संस्कृत शिक्षा के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में मान्यता को लेकर चल रही भ्रान्तियों का निराकरण करने के लिए सचिव चंद्रेश यादव का भव्य स्वागत किया गया ।
बताते चलें कि संस्कृत विश्वविद्यालय के हाल में पूरे राज्य के संस्कृत शिक्षा के अधिकारीयों, प्रबंधकों, प्रधानाचार्यों एवं विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव की सामूहिक बैठक में सबकी बात ध्यान से सुनने के बाद सचिव चंद्रेश यादव नें काफी दिनों से शासनादेशों की सही ब्याख्या न कर पाने की वजह से संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के वर्गकरण और मान्यता के संबंध में बनी भ्रम की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि पूर्व से चल रहे किसी भी म्हाविद्यालय को बंद नहीं किया गया है, वरन वर्षो से वरगीकरण की बाट जोह रहे विद्यालयों को अलग अलग संचालित करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है ।
उन्होंने कहा कि जिन प्रबंधकों नें संस्कृत शिक्षा परिषद से उत्तरमध्यमा तक मान्यता ली है वह उसे चलाएंगे और जिन्होंने संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री और आचार्य कीभी मान्यता ली है वह दोनों को एक ही परिसर में अलग अलग संचालित कर सकते हैँ, रही स्टाफ की बात तो जिन शिक्षकों की नियुक्ति उत्तर मध्यमा स्तर के लिए हुई है वे वहाँ तक पढ़ाएंगे ऊपर की कक्षाओं के लिए प्रबंधक पदों का सृजन होने तक विश्वविद्यालय की अनुमति से जैसा चला रहे हैँ स्ववितपोषित चला सकते हैं, ज़ब शासन से पद सृजित हो जाएंगे तब यू, जी, सी के मानकों पर नई नियुकतियाँ हो सकेंगी ।
सचिव द्वारा सभी भ्रान्तियों पर विराम लगाने से संस्कृत जगत के लोगों नें हर्ष व्यक्त करते हुए निदेशक एवं संस्कृत अकादमी के सचिव एस. पी खाली के माध्यम से पुष्पगुच्छ देकर सचिव महोदय का गरमजोशी से हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। मौके पर कुलपति प्रोफेसर दिनेश शास्त्री, कुलसचिव गिरीश अवस्थी, उपनिदेशक, सहायक निदेशकों सहित पूरे राज्य के संस्कृत विद्यालयों के प्रबंधक एवं प्रधानाचार्य उपस्थित रहे ।