उत्तराखंड। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग इलाके में प्रागैतिहासिक काल की गुफा मिली है। इस गुफा में पत्थरों पर बने शैलचित्र भी प्राप्त हुए हैं। शैलचित्र में मानव आकृतियां भी बनी हुई हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने बताया कि ये गुफा 4000-6000 साल पुरानी है। इसी तरह की आकृति वाली गुफा 1965 में भी पाई गई थी। भारीतय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी चंद्र सिंह चौहान ने कहा कि उन्हें नई खोजी गई गुफा की दीवारों पर बने शैल चित्रों की तस्वीरें मिलीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं शैलचित्रों के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने के लिए जल्द ही गुफा का दौरा करने जाएंगे।
उत्तराखंड के बेरीनाग इलाके में एएसआई के अधिकारियों को यह गुफा मिली है। गुफा 6 हजार साल पुरानी बताई जा रही है। इस गुफा की दीवारों पर आकृतियां बनाई गई हैं। आकृति में मानव शृंखला दिखाई दे रही है। गुफा और शैलचित्रों के बारे में जानकारी देते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों ने बताया कि इस गुफा की खोज एक महत्वपूर्ण खोज है क्योंकि इसमें शैलचित्र हैं जो 4000 से 6000 वर्ष से अधिक पुराने प्रतीत हो रहे हैं।
आज से 59 साल पहले भी इसी तरह की एक गुफा की खोज की गई थी। 59 साल पहले मिली इस गुफा की खोज पर्यटन क्षेत्र में काम करने वाले युवा उद्यमी तरूण मेहरा ने की थी। तरुण मेहरा ने बताया कि पीजी कॉलेज बेरीनाग के पास एक पहाड़ी पर गुफा की खोज के बाद जब हम अंदर गए, तो दीवारों पर कई रंगों से उकेरे गए शैलचित्रों को देखकर हम आश्चर्यचकित रह गए थे। इस दौरान मेहरा ने यह भी बताया कि गुफा के अंदर एक कप का निशान भी मिला है, जहां रस्सी के सहारे 20 फुट ऊंची चट्टानी दीवार पर चढ़कर पहुंचा जा सकता है।
गुफा की खोज के बारे में जानकारी देते हुए तरुण मेहरा ने कहा कि शैलचित्रों में आदमियों की आकृति के साथ-साथ के नीचे जंगली जानवरों का चित्र भी बना है। शैलचित्र में जानवरो की संख्या संख्या 11 है। इस बारे में जानकारी देते हुए मेहरा ने बताया कि गुफा के अंदर बड़ी जगह की होने से संकेत मिलता है कि प्राचीन मानव संभवतः गुफा को अपने रहने के घर की तरह इस्तेमाल करते थे।