दूध बेचने वाले पिता की नवोदयन बेटी बनी IAS, ट्यूशन से निकाला पढ़ाई का खर्च

दूध बेचने वाले पिता की नवोदयन बेटी बनी IAS, ट्यूशन से निकाला पढ़ाई का खर्च

नवोदय विद्यालय हरिद्वार से किया बारहवीं, जॉब के साथ की UPSC की तैयारी

IAS Anuradha Pal Success Story: यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा देश के अधिकतर उम्मीदवारों के लिए काफी कठिन परीक्षा साबित होती है, लेकिन कुछ उम्मीदवार ऐसे रहे हैं, जिनका जीवन ही इतना कठिन रहा है कि उन्हें अपने सामने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की कठिनाई कम लगती है। यही कारण है कि कुछ ऐसे उम्मीदवार अपनी अटूट मेहनत, समर्पण और दृढ़ता से सिविल सेवा परीक्षा अपने पहले प्रयास में ही क्लियर कर लेते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक सफलता की कहानी अनुराधा पाल की है, जिन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की और सिविल सेवा का सबसे प्रतिष्ठित आईएएस ऑफिसर का पद हासिल किया। 

पिता दूध बेचकर करते थे परिवार का भरण-पोषण 

आईएएस अनुराधा पाल हरिद्वार के एक छोटे से गांव के एक साधारण परिवार से हैं। बचपन में उन्हें कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके पिता दूध बेचकर परिवार का भरण-पोषण करते थे। 

आवासीय जवाहर नवोदय विद्यालय से प्राप्त शिक्षा 

उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हरिद्वार के जवाहर नवोदय विद्यालय से प्राप्त की है। स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद अनुराधा अपनी कॉलेज की जीबी पंत विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी की पढ़ाई की। 

फुल टाइम जॉब से साथ की यूपीएससी की तैयारी

घर की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए अनुराधा ने बीटैक के बाद टेक महिंद्रा ज्वाइन की। कुछ समय तक वहां काम करने के बाद, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें सिविल सेवा में जाना है। फिर वह रूड़की के एक कॉलेज में लेक्चरर के रूप में शामिल हुईं और साथ ही यूपीएससी के लिए तैयारी भी की। वह अपनी कोचिंग की फीस भरने के लिए छात्रों को ट्यूशन भी पढ़ाती थीं। 

पहले प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में हासिल की सफलता 

उन्होंने साल 2012 में अपने पहले प्रयास में ही यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली, लेकिन, उस समय उनकी ऑल इंडिया 451 रैंक थी। इसलिए उन्होंने दिल्ली में निर्वाण आईएएस अकादमी में दाखिला लिया, जिससे उनकी तैयारी मजबूत हो गई। चूंकि वह काम भी कर रही थी, इसलिए उन्होंने छोटे-छोटे लक्ष्य हासिल करने के लिए समय को समझदारी से मैनेज किया, जिससे वह अपने लक्ष्य आसानी से हासिल कर पाईं। 

दूसरे प्रयास में बनीं IAS

अंततः, उन्होंने 2015 में अपने दूसरे प्रयास में ऑल इंडिया 62वीं रैक के साथ यूपीएससी में सफलता प्राप्त की और आईएएस ऑफिसर का पद हासिल किया। वह वर्तमान में उत्तराखंड में बागेश्वर की जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्यरत हैं।

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