हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में हाल ही में एक विशेष ‘कृष्ण वाटिका’ का निर्माण किया गया है, जिसका उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले पौधों का संरक्षण और संवर्धन करना है। इस वाटिका में उन पेड़ों और पौधों को संरक्षित किया जा रहा है जिनका संबंध भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनके जीवन से है।
माखन कटोरी वृक्ष का इतिहास और महत्व
वाटिका में ‘माखन कटोरी’ वृक्ष का विशेष स्थान है, जो कृष्ण वट के नाम से भी प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल में वृंदावन में माखन चोरी की थी। एक बार माखन चुराकर भागते समय जब उनकी मां यशोदा ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की, तो उन्होंने माखन को एक पेड़ की पत्तियों की कटोरी में छिपा दिया। इस घटना के बाद से इस पेड़ की पत्तियां कटोरी के आकार की हो गईं और इसे ‘माखन कटोरी’ के नाम से जाना जाने लगा। इस पेड़ की पत्तियों को तोड़ने पर इससे निकलने वाला रस माखन के समान होता है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।
कृष्ण से जुड़े अन्य पौधों का संरक्षण
वन अनुसंधान केंद्र में कृष्ण वाटिका के अलावा, कदम्ब के पेड़ भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जिनका संबंध भगवान श्रीकृष्ण की गोपियों के साथ लीलाओं से जुड़ा है। इसके अलावा, भगवान कृष्ण की प्रसिद्ध ‘वैजयंती माला’ का भी यहाँ संरक्षण किया जा रहा है। ये माला, जो भगवान कृष्ण की आरती में भी वर्णित है, उनके गले की शोभा बढ़ाती थी।
कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष आकर्षण
वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में तैयार की गई यह कृष्ण वाटिका विशेष रूप से कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु यहां से उनसे जुड़ी हर महत्वपूर्ण वस्तु प्राप्त कर सकते हैं। वन अनुसंधान केंद्र का यह प्रयास न केवल भगवान श्रीकृष्ण के इतिहास को संरक्षित करने का काम कर रहा है, बल्कि इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने में भी अहम भूमिका निभा रहा है।