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राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने उत्तराखंड सरकार को दिए सख्त निर्देश, बद्रीनाथ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति पर मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने उत्तराखंड सरकार को दिए सख्त निर्देश, बद्रीनाथ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति पर मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने उत्तराखंड के पर्यावरण और शहरी विकास सचिवों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) स्थापित करने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश बद्रीनाथ में अपूर्ण एवं अनुचित सीवेज ट्रीटमेंट के कारण अलकनंदा नदी में सीवेज के निर्वहन के मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया।

एनजीटी की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि उत्तराखंड पेयजल निगम और उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में बद्रीनाथ में केवल दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं, जिनकी क्षमता क्रमशः 0.23 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) और 1 एमएलडी है। पीठ ने इस क्षमता को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि इसमें एक बड़ा अंतर है जिससे अनुपचारित सीवेज नदी में प्रवाहित हो सकता है।

पीठ ने यह भी कहा कि मौजूदा एसटीपी में प्रतिदिन प्राप्त होने वाले सीवेज की मात्रा का कोई विवरण नहीं दिया गया है और उपचारित अपशिष्ट जल के परिणामों से पता चलता है कि संग्रहण टैंक से आंशिक रिसाव हो रहा है, जिससे अपशिष्ट जल सीधे अलकनंदा नदी में बहाया जा रहा है। एनजीटी ने जल निगम के अधिकारी की इस दलील पर भी गौर किया कि अतिरिक्त एसटीपी स्थापित करने के लिए कोई परियोजना या प्रस्ताव पाइपलाइन में नहीं है।

यह ध्यान दिया गया कि जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एसटीपी स्थापित करने के लिए तीन साल की समयसीमा तय की थी और इसे सुनिश्चित करने के लिए राज्य के पर्यावरण सचिव को जिम्मेदार बनाया गया था। एनजीटी ने आदेश दिया कि राज्य के पर्यावरण सचिव और शहरी विकास सचिव अगली सुनवाई में वर्चुअल रूप से पेश हों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दें। इसके साथ ही, तीर्थ स्थल में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले सीवेज की मात्रा और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति पर भी संतोषजनक जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी।

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