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आईआईएसडब्ल्यूसी द्वारा सामुदायिक सहभागिता से बीज उत्पादन और विस्तार को मिला बढ़ावा

आईआईएसडब्ल्यूसी द्वारा सामुदायिक सहभागिता से बीज उत्पादन और विस्तार को मिला बढ़ावा

देहरादून, 29 अक्टूबर: आईसीएआर-भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC) ने देहरादून के रायपुर ब्लॉक में किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण बीज वितरण कार्यक्रम आयोजित किया, जो कि आईसीएआर की फार्मर्स फर्स्ट परियोजना के तहत हुआ। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के सिंचित और वर्षा-आधारित दोनों प्रकार की परिस्थितियों के लिए उपयुक्त उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं के आधार बीज वितरित किए गए।

वितरित गेहूं की किस्में और उनकी विशेषताएँ
कार्यक्रम के अंतर्गत दो किस्में—उन्नत-PBW 343 (सिंचित क्षेत्रों के लिए) और VL 967 (वर्षा-आधारित क्षेत्रों के लिए)—किसानों को प्रदान की गईं। ये किस्में 60-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (Q/ha) उपज प्रदान करने की क्षमता रखती हैं, जबकि देहरादून क्षेत्र में भी 35-45 Q/ha तक उपज प्राप्त की जा सकती है, जो कि पारंपरिक किस्मों की उपज से काफी अधिक है। किसानों को 20-40 किलोग्राम बीज दिए गए और कुल 21 क्विंटल बीज 90 किसानों के बीच वितरित किए गए।

गुणवत्तापूर्ण इनपुट्स और टिकाऊ कृषि का महत्व
डॉ. बांके बिहारी, प्रमुख वैज्ञानिक एवं परियोजना प्रभारी (PI), ने इन बीजों की उच्च उत्पादकता और क्षेत्रीय अनुकूलता पर चर्चा की। डॉ. एम. मुरुगनंदम, प्रमुख वैज्ञानिक एवं प्रमुख (PME एवं KM इकाई), ने गुणवत्तापूर्ण बीजों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि इस वितरण का उद्देश्य किसानों को समृद्धि और टिकाऊ कृषि में योगदान देना है।

बाय-बैक व्यवस्था और सामुदायिक लाभ
इस बीज वितरण को उत्तराखंड सीड्स एंड तराई डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UKS&TDC), देहरादून के साथ बाय-बैक व्यवस्था के तहत कार्यान्वित किया गया। इस व्यवस्था के अंतर्गत किसान प्राप्त बीजों की दोगुनी मात्रा UKS&TDC को वापस करेंगे, जिसे प्रमाणित बीज के रूप में संसाधित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, किसानों को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार बीज का उपयोग करने की छूट भी दी गई है।

किसानों की सकारात्मक प्रतिक्रिया और पिछले अनुभव
पिछले तीन वर्षों में, इसी परियोजना के माध्यम से चार अन्य गेहूं की किस्में—DBW 222, DBW 303, DBW 187 और VL 953—किसानों को उपलब्ध कराई गईं, जिनकी किसानों द्वारा अत्यधिक सराहना की गई। किसानों ने इन बीजों का पुनः उपयोग करके टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहित किया और उत्पादकता में सुधार किया। कार्यक्रम के दौरान कृषक उत्पादक संगठन कोटिमचक से श्री कुशल पाल सिंह और संस्थान के अन्य परियोजना कर्मी भी उपस्थित रहे, जिन्होंने किसानों के उत्साहपूर्ण योगदान का अवलोकन किया।

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