पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के खिर्सू ब्लॉक के चमराड़ा गाँव में ग्रामीण उद्यम वेगवृद्धि परियोजना (रीप परियोजना) के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। परियोजना के तहत, गाय के गोबर को व्यावसायिक रूप से उपयोग में लाकर स्थानीय उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को आजीविका के नए साधन मिल रहे हैं, साथ ही आवारा गायों के संरक्षण में भी मदद हो रही है।
खिर्सू ब्लॉक में स्थापित इस यूनिट में महिलाओं द्वारा धूप, सांबरानी कप, गमले, दीए और मूर्तियाँ जैसे उत्पाद बनाए जा रहे हैं। मुख्य विकास अधिकारी पौड़ी, गिरीश गुणवंत, ने बताया कि इस योजना से न केवल ग्रामीण महिलाओं की आजीविका बढ़ेगी, बल्कि गौ संरक्षण भी संभव हो सकेगा। रीप परियोजना के प्रबंधक कुलदीप बिष्ट ने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत 14 गांवों के 70 स्वयं सहायता समूहों के 424 सदस्य जुड़े हुए हैं। उन्हें गोबर के उत्पाद बनाने के लिए कई दिनों का तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया गया है।
प्रबंधक कुलदीप बिष्ट के अनुसार, यह योजना महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। इसके माध्यम से गोबर से बने उत्पाद प्रदेश के विभिन्न आउटलेट और अन्य राज्यों में भेजने की योजना भी है। सोमवार, 11 नवंबर से यूनिट ने व्यावसायिक रूप से कार्य शुरू कर दिया है।