प्रदेश सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज कराने वाले मरीजों के लिए एक अहम फैसला लिया है। अब राज्य के सभी सूचीबद्ध अस्पतालों में हर 10 मरीजों पर एक “आयुष्मान मित्र” नियुक्त किया जाएगा। इसका उद्देश्य अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को बेहतर सुविधा देना और इलाज के दौरान किसी भी तरह की परेशानी से बचाना है। यह योजना 23 सितंबर 2018 से शुरू हुई थी, जिसमें राज्य के सभी पात्र नागरिकों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया गया है।
आयुष्मान मित्र का मुख्य काम होगा मरीजों को मार्गदर्शन देना और इलाज, दवाइयों या जांच से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं में सहायता करना। यदि किसी लाभार्थी का आयुष्मान कार्ड नहीं बना है, तो आयुष्मान मित्र उसकी सहायता कर कार्ड बनवाने में भी मदद करेंगे। इसके अलावा, अगर अस्पताल में किसी आयुष्मान कार्ड धारक के इलाज में समस्या आती है या अस्पताल प्रशासन द्वारा अवैध शुल्क मांगा जाता है, तो आयुष्मान मित्र इसकी शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं। इनके लिए एक विशेष ड्रेस कोड भी लागू किया गया है, जिससे मरीज इन्हें आसानी से पहचान सकें और बिना किसी झिझक के सहायता प्राप्त कर सकें।
बड़े अस्पतालों में बेड आरक्षण की सुविधा
अब तक प्रदेश में 58 लाख लाभार्थियों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं, और 12.5 लाख से अधिक मरीजों को मुफ्त इलाज का लाभ मिल चुका है। इसके अलावा, बड़े अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों के लिए 10 बेड आरक्षित किए जाएंगे, ताकि आपातकालीन स्थिति में बेड की सुविधा आसानी से मिल सके।
स्वास्थ्य मंत्री का बयान
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि आयुष्मान मित्र अस्पतालों में मरीजों का मार्गदर्शन करेंगे, जिससे उन्हें इलाज में किसी भी तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े। यह कदम अस्पतालों में इलाज की प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित बनाने के लिए उठाया गया है। मंत्री के अनुसार, “हम चाहते हैं कि आयुष्मान योजना के तहत मरीजों को बिना किसी परेशानी के उचित और त्वरित इलाज मिल सके।”
आयुष्मान योजना पर खर्च और इसके फायदे
प्रदेश सरकार ने अब तक आयुष्मान योजना के तहत 2542 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस योजना से राज्य के लाखों लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिल रही है, जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं और मरीजों का अनुभव भी बेहतर हो रहा है।