उत्तराखंड में उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड) कर्मचारियों के नियमितीकरण के मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज़ हो गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सरकार को उपनल कर्मचारियों के चरणबद्ध नियमितीकरण का निर्देश दिया गया था। लेकिन, उत्तराखंड सरकार ने इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटीशन) दायर की है, जिससे कर्मचारियों में नाराज़गी बढ़ गई है।
सरकार की स्थिति:
उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल कर दी है।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि सरकार ने बातचीत का रास्ता खुला रखा है और मुख्य सचिव ने उपनल कर्मचारियों को मुख्यमंत्री से वार्ता करवाने का वादा किया है।
कर्मचारियों का रुख:
उपनल कर्मचारी संगठनों ने सरकार के आश्वासन पर भरोसा जताया है लेकिन यह भी स्पष्ट किया है कि वे अपने अधिकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।
22,000 से अधिक उपनल कर्मचारी अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर संघर्षरत हैं।
हरीश रावत का समर्थन:
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने देहरादून स्थित आवास पर 1 घंटे का मौन उपवास रखा।
उन्होंने सरकार पर न्यायपालिका के आदेशों को न मानने और कर्मचारियों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया।
हरीश रावत ने कहा कि ये कर्मचारी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं और सरकार उनकी अनदेखी कर रही है।
सियासत और संघर्ष:
सरकार और कर्मचारियों के बीच इस मुद्दे को लेकर तनातनी जारी है। जहां सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर कर कानूनी प्रक्रिया अपनाई है, वहीं कर्मचारी संगठनों और विपक्षी दलों ने इसे कर्मचारियों के हक के खिलाफ बताया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और आंदोलन और राजनीतिक दबाव बढ़ने की संभावना है।