अपहृत के साथ अच्छा बर्ताव करने वाले किडनैपर पर लागू नहीं होती धारा-364 ए (अपहरण एवं फिरौती) लगाने की तीनो शर्तें: सुप्रीम कोर्ट
रेनबो न्यूज़ इंडिया * 01 जुलाई 2021
सुप्रीम कोर्ट ने एक अभूतपूर्व फैसले में कहा है कि यदि किडनैपर ने अपहृत व्यक्ति के साथ अच्छा बर्ताव किया है तो अपहरणकर्ता को भादंसं की धारा-364 ए के तहत आजीवन कारावास की सजा नहीं दी जा सकती है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने एक अभूतपूर्व फैसले में कहा है कि यदि किडनैपर ने अपहृत व्यक्ति के साथ मारपीट नहीं की और उसे जान से मारने की धमकी नहीं दी और उसके साथ अच्छा बर्ताव किया है तो अपहरणकर्ता को भादंसं की धारा-364ए के तहत आजीवन कारावास की सजा नहीं दी जा सकती है। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले को रद करते हुए यह टिप्पणी की।
तेलंगाना हाईकोर्ट ने एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी
तेलंगाना हाईकोर्ट ने अपहरण के एक मामले में आरोपी एक ऑटो चालक को दोषी ठहराने के फैसले को रद करने से इनकार कर दिया था। आरोप है कि ऑटो चालक ने एक नाबालिग का अपहरण किया था और उसके पिता से दो लाख रुपए की फिरौती मांगी थी। हाईकोर्ट ने दोषी ठहराए जाने के खिलाफ आरोपी की याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही उसे भादंसं की धारा 364 ए के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा-364 ए (अपहरण एवं फिरौती) के तहत आरोपी को दोषी ठहराने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा तीन बातों को साबित करना आवश्यक है।
१- किसी व्यक्ति का अपहरण करना या उसे बंधक बनाकर रखना,
२- अपहृत को जान से मारने की धमकी देना या मारपीट करना और
३- अपहरणकर्ता की ओर से फिरौती के लिए दबाव डालने के लिए पीड़ित को नुकसान पहुंचाना।
तेलंगाना निवासी शेख अहमद ने छठी कक्षा के छात्र को अगवा किया था
धारा-364 ए के तहत आजीवन कारावास या फांसी की सजा का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस सजा के लिए पहली स्थिति के अलावा दूसरी या तीसरी स्थिति भी साबित करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट तेलंगाना निवासी शेख अहमद की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ अहमद की याचिका खारिज करने को चुनौती दी गई थी। आरोप है कि ऑटो चालक अहमद ने सेंट मैरी हाईस्कूल के छठी कक्षा के छात्र को उसके घर छोड़ने के बहाने अगवा कर लिया था।
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