उत्तराखंड के भूस्खलन क्षेत्रों में रॉक बोल्ट तकनीक से सफल उपचार

उत्तराखंड के भूस्खलन क्षेत्रों में रॉक बोल्ट तकनीक से सफल उपचार

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की समस्या से निपटने के लिए ऑस्ट्रेलियाई रॉक बोल्ट तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल शुरू किया है। इस तकनीक से मानसून के दौरान सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों के कारण अवरुद्ध होने वाले राजमार्गों को स्थायी समाधान मिल रहा है।

बीआरओ कमांडर विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री राजमार्ग पर रतूड़ीसेरा और बंदरकोट के सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों में इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इससे पहले नालूपानी और चुंगी बडेथी जैसे क्षेत्रों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, जहां यह 90 प्रतिशत तक प्रभावी साबित हुई थी। इन सफल परिणामों के बाद इसे अन्य स्थानों पर भी लागू किया जा रहा है।

रतूड़ीसेरा में 19.8 करोड़ रुपये और बंदरकोट में 9.3 करोड़ रुपये की लागत से यह कार्य प्रगति पर है। इसे मार्च 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है। रॉक बोल्ट तकनीक के तहत मिट्टी और चट्टानों में विशेष कीलें ठोंककर मलबे को स्थिर किया जाता है, जिससे भूस्खलन की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है।

गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्ग पर सक्रिय भूस्खलन क्षेत्र वर्षों से चारधाम यात्रियों और स्थानीय निवासियों के लिए बड़ी समस्या रहे हैं। इस तकनीक के इस्तेमाल से इन राजमार्गों पर यातायात बाधित होने की समस्या में कमी आएगी, जिससे यात्रियों को राहत मिलेगी।

चारधाम सड़क परियोजना के तहत कई संवेदनशील क्षेत्रों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। बीआरओ का मानना है कि इससे न केवल सड़क सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि राज्य में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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