चमोली जिले के प्रसिद्ध माता अनुसूया मंदिर में दो दिवसीय अनुसूया मेले का शुभारंभ 14 दिसंबर से होगा। यह निर्णय अनसूया मंदिर ट्रस्ट की बैठक में लिया गया। यह मेला 15 दिसंबर तक चलेगा और हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने की संभावना है।
संतान प्राप्ति की मान्यता
माता अनुसूया मंदिर को निःसंतान दंपत्तियों के लिए खास माना जाता है। मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर आयोजित इस मेले में जो भी निःसंतान दंपति माता अनुसूया की पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें संतान का वरदान मिलता है। मेले के दौरान श्रद्धालु विशेष अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, और निःसंतान महिलाएं रात के अनुष्ठान में सम्मिलित होकर अपने सपनों में फल देखने की प्रतीक्षा करती हैं। इसे संतान प्राप्ति का संकेत माना जाता है।
देव डोलियों की विशेष उपस्थिति
दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर क्षेत्र के विभिन्न गांवों—सगर, बणद्वारा, देवलधार, कठूड़ और खल्ला—से देव डोलियां मंदिर में पहुंचती हैं। इन डोलियों के साथ पूजा-अर्चना का विशेष आयोजन होता है।
यह मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें स्थानीय परंपराओं और आस्थाओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। माता अनुसूया का यह मेला निःसंतान दंपत्तियों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है।