देहरादून: उत्तराखंड का पहला आधुनिक मदरसा ‘डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मॉडर्न मदरसा’ बनकर तैयार हो गया है। यह मदरसा देहरादून में रेलवे स्टेशन के पास मुस्लिम कॉलोनी में 50 लाख रुपये की लागत से बनाया गया है। यहां छात्रों को अरबी और इस्लामिक शिक्षा के साथ-साथ सीबीएसई के एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के तहत सामान्य विषय पढ़ाए जाएंगे। खास बात यह है कि छात्रों को वैकल्पिक भाषा के रूप में संस्कृत पढ़ने का भी अवसर मिलेगा।
मार्च से शुरू होगी पढ़ाई
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने बताया कि मार्च में आगामी शैक्षणिक सत्र से मदरसे में पढ़ाई शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम कॉलोनी के आसपास स्थित करीब 10 छोटे मदरसों को बंद कर उनके छात्रों को इस आधुनिक मदरसे में शिफ्ट किया गया है। यह मदरसा स्मार्ट क्लासरूम, कंप्यूटर, आधुनिक फर्नीचर और स्मार्ट बोर्ड जैसी सुविधाओं से लैस है।
शिक्षा का नया मॉडल
शम्स ने बताया कि मदरसे में सुबह से दोपहर तक सामान्य शिक्षा दी जाएगी, जिसमें विज्ञान, गणित, इतिहास और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय शामिल होंगे। शाम को छात्र अपनी रुचि के अनुसार कुरान, इस्लामिक ज्ञान, या भारतीय परंपराओं जैसे भगवान राम के बारे में भी पढ़ सकते हैं। शम्स ने कहा, “हमारा उद्देश्य एक ऐसा भारत बनाना है जहां सभी बच्चों को समान शिक्षा और अवसर मिलें।”
आठ से दस और मदरसे होंगे आधुनिक
वक्फ बोर्ड की योजना वर्ष के अंत तक प्रदेश में आठ से दस और मदरसों के आधुनिकीकरण की है। इन मदरसों को सबसे बड़े और उपयुक्त स्थानों पर विकसित किया जाएगा, जिससे प्रबंधन आसान होगा और वक्फ बोर्ड खाली हुई संपत्तियों का उपयोग अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए कर सकेगा।
निशुल्क शिक्षा और नई सुविधाएं
इन मदरसों में छात्रों को निशुल्क शिक्षा दी जाएगी। वक्फ बोर्ड उनके लिए स्कूल ड्रेस और किताबों का प्रबंध भी करेगा। पहली बार, छात्रों को शारीरिक रूप से फिट रखने और उनमें देशप्रेम का जज्बा बढ़ाने के लिए पूर्व सैनिकों को शारीरिक शिक्षा के लिए नियुक्त किया जाएगा। संस्कृत पढ़ाने वाले शिक्षकों की भी भर्ती की जाएगी, जिससे छात्रों को विविध भाषा ज्ञान मिल सके।
शादाब शम्स ने कहा, “यह पहल केवल शिक्षा का आधुनिकीकरण नहीं है, बल्कि एक ऐसे भारत की नींव है जहां हर बच्चे को समान अवसर मिलें।” इस आधुनिक मदरसे की शुरुआत एक बड़ा कदम है जो राज्य में शिक्षा और समावेशिता को नई ऊंचाई देगा।