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आकृति को विज्ञापनों के प्रभावों पर पीएचडी

आकृति को विज्ञापनों के प्रभावों पर पीएचडी


देहरादून, 8 फरवरी। ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी ने जनकल्याण में सरकारी विज्ञापनों के प्रभावों पर शोध के लिए आकृति ढौंडियाल बडोला को पीएचडी की उपाधि प्रदान की है। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की शिक्षिका आकृति ढौंडियाल बडोला ने यह शोध प्रोफेसर डॉ सुभाष गुप्ता के निर्देशन में किया है।

इस शोध में आकृति ने पाया कि विज्ञापन युवाओं के व्यवहार, नज़रिये व धारणा को प्रभावित करते हैं। इसमें सबसे ज्यादा प्रभाव स्वास्थ्य, जीवन शैली व सामाजिक जागरूकता के क्षेत्र में पड़ता है। विज्ञापनों के प्रभाव के माामले में सांस्कृतिक व भावनात्मक विज्ञापन सबसे अधिक प्रभावी पाये गये। शोध में ज्यादातर युवाओं ने विज्ञापनों का अपने जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात स्वीकारी। युवाओं की उम्र और शिक्षा भी विज्ञापनों के प्रभाव को प्रभावित करती है। इंस्टाग्राम विज्ञापन प्रसारित करने में सबसे कारगार माध्यम के रूप में उभरकर सामने आया। शोध में शामिल 44.8 प्रतिशत युवाओं ने इसकी विश्वस्नीयता पर भरोसा जताया। आकृति ने इससे जुड़े आंकड़े भी दिए हैं।

डॉ. सुभाष गुप्ता ने कहा कि यह शोध सरकारी विज्ञापनों का प्रभाव व उपयोगिता बढ़ाने में एक बढ़ी भूमिका निभा सकता है। शोध में ये तथ्य सामने आये हैं कि किस तरह के विज्ञापन युवाओं पर कैसे और कितना प्रभाव डालते हैं। इस शोध का उपयोग युवाओं को टार्गेट बनाने वाले विज्ञापन तैयार करने में किया जा सकता है।

आज, एक्सटर्नल एक्सपर्ट के रूप में मौजूद गलगोटियाज यूनिवर्सिटी के डीन प्रो. (डॉ.) ए. राम पाण्डे और गवर्नमेण्ट पीजी काॅलेज के प्रधानाचार्य डॉ सुशील कुमार उपाध्याय के साथ ही ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के डीन रिसर्च डॉ. कपिल घई, मैनेजमेण्ट विभाग के एचओडी डॉ विशाल सागर, फैशन डिजाइन डिपार्टमेण्ट की एचओडी डॉ. ज्योति छाबड़ा, जनसंचार विभाग की एचओडी डॉ ताहा सिद्धीकी, रिसर्च काॅर्डिनेटर डॉ हिमानी बिंजोला और पत्रकारिता विभाग की डॉ. अंकिता उनियाल की मौजूदगी में फाइनल डिफेंस में कुशलता से कामयाबी पाने के बाद आकृति को पीएचडी की उपाधि दी गई।

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