उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर लगाए जाने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अहम फैसला लिया है। उन्होंने सभी मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाने के निर्देश दिए हैं। प्रमुख सचिव ऊर्जा डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम ने जानकारी दी कि अब तक 24,000 उपभोक्ताओं के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं।
स्मार्ट मीटर पर सियासी घमासान
स्मार्ट बिजली मीटर को लेकर प्रदेश में राजनीतिक बहस तेज हो गई है। कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर जुबानी जंग छिड़ गई है। किच्छा से कांग्रेस विधायक ने स्मार्ट मीटर तोड़कर अपना विरोध जताया, जिसके बाद कांग्रेस के कई नेता उनके समर्थन में आ गए। वहीं, भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस का यह विरोध बिजली चोरी रोकने में बाधक बन रहा है, जबकि कांग्रेस शासित राज्यों में भी स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं।
बिजली उपभोक्ताओं की शिकायतें होंगी खत्म
प्रमुख सचिव ऊर्जा डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगने से बिजली उपभोक्ताओं की रीडिंग और बिलिंग संबंधी शिकायतों में अप्रत्याशित रूप से कमी आएगी। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिससे उपभोक्ताओं को पल-पल बिजली उपयोग की जानकारी, बिलिंग डिटेल्स, बिजली खपत की तुलना और भुगतान के कई विकल्प मिलेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसे भारत सरकार के सहयोग से सभी राज्यों में लागू किया जा रहा है। स्मार्ट मीटर से बिजली बिल की गलतियों को दूर किया जा सकेगा और विद्युत आपूर्ति बाधित होने की सूचना तुरंत विभाग तक पहुंच जाएगी।
बिना शुल्क बदले जाएंगे मीटर
प्रमुख सचिव ने स्पष्ट किया कि पुराने मीटर को स्मार्ट मीटर से बदलने पर कोई इंस्टॉलेशन शुल्क नहीं लिया जाएगा। सरकार के निर्देश पर वर्तमान में केवल पोस्टपेड स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। हालांकि, जो उपभोक्ता स्वेच्छा से प्रीपेड सेवा लेना चाहते हैं, उन्हें घरेलू कनेक्शन पर 4% और अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं को 3% की छूट दी जाएगी।
मुख्यमंत्री के निर्देश के तहत, सबसे पहले मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के आवासों में स्मार्ट मीटर लगाने का अभियान शुरू किया जाएगा। योजना के तहत जून 2026 तक 15.88 लाख उपभोक्ताओं सहित 59,212 ट्रांसफार्मर और 2,602 फीडर के मीटर बदले जाएंगे।