देहरादून, 23 अप्रैल। ग्राफ-ए-थॉन में युवा वैज्ञानिकों ने एक ऐसा यंत्र तैयार किया है जो दिमागी तरंगों को एमआरआई स्कैन में बदल देगा। लगातार दो दिन व दो रात चली प्रतियोगिता में इसका शानदार मॉडल बना लिया गया। इसके साथ ही जड़ी-बूटियों की जानकारी देने वाला ऐप व रक्षा-प्रणाली को मजबूत करने वाला उपकरण भी तैयार किया गया है।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित रोचक तकनीकी मुकाबले में छात्र-छात्राओं ने एक से बढ़कर एक प्रोटोटाइप बनाए। 26 राज्यों के युवा वैज्ञानिकों ने लगातार 48 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद यह उपलब्धि हासिल की है। अपने अनोखे आइडियाज से इन छात्र-छात्राओं ने लाखों रुपए के नगद पुरस्कार जीते हैं।
ग्राफ-ए-थॉन के आखिरी दिन आज, कुलपति डॉ० नरपिंदर सिंह ने कहा कि नवाचार, कोडिंग स्किल्स व दृढ़ निश्चय के इस मैराथन में भाग लेने वाला हर छात्र कुछ ना कुछ सीख कर जाएगा। यहां मिलने वाला अनुभव व विशेषज्ञों की राय उन्हें भविष्य में और ज्यादा बेहतर करने की प्रेरणा देगी। उनके आविष्कार आगे जाकर समाज की बेहतरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
प्रतियोगिता में सभी टीमों को अपने आइडियाज प्रस्तुत करने का मौका दिया गया। छात्र-छात्राओं ने अपने आइडियाज को प्रोफेशनल उद्यमियों की तरह ही निरीक्षकों के सामने पेश किया। इस मुकाबले में राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, मुबारकपुर मुखतिया (उत्तर प्रदेश) की टीम एल्गोसैपर्स- 6.0 ने ग्राफ-ए-थॉन -2.0 के विजेता का खिताब अपने नाम किया। तनिष्क जायसवाल, अभिजीत जाधव, मोहम्मद फैजान व निहाल पांडे की इस टीम ने दिमागी तरंगों को एमआरआई स्कैन में बदलने वाला यंत्र बनाया है। इसकी मदद से मरीज घर बैठे ही मस्तिष्क संबंधी विकारों का पता लगा सकेगा।
गोविंद बल्लभ पंत इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, पौड़ी की टीम माइंडबेंड ने प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया। टीम की टिशा गाबा, टिया गाबा, राहुल मलकानी, नेहा मलकानी व मयंक सैनी ने कम लागत वाला प्रोस्थेटिक लिंब बनाया। कार्बन फाइबर से बने इस अंग (हाथ) की मदद से मरीज रोजमर्रा के दैनिक कार्य आसानी से कर सकेगा।
प्रतियोगिता में तीसरा स्थान ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी की टीम रेस्क्यू विज़न ने प्राप्त किया। इसके अभय राज यादव, अर्चिशा घनशानी, स्वास्तिक शर्मा, तनीषा चौहान व वंश शर्मा का रोबोट भूकंप, जंगल में आग व बाढ़ जैसी आपदाओं में फंसे पीड़ितों तक राहत सामग्री पहुंचाने में उपयोगी साबित होगा। यह रोबोट ड्रोन की मदद से आपदा पीड़ित क्षेत्र में बचाव कार्य व चिकित्सा मदद जल्द से जल्द पहुंचाने का कार्य करेगा।
प्रतियोगिता में विजय टीम को 1.7 लाख रुपए के नगद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दूसरा स्थान प्राप्त करने वाली टीम को 1.5 लाख रुपए व तीसरे स्थान की टीम को 1.25 लाख की इनामी राशि दी गई। इसके अलावा प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करने वाली शीर्ष 7 टीमों को भी पुरस्कृत किया गया। इसमें टीम नेत्रा, टीम साइबर नाइट्स, टीम हैकहोराइजन, टीम केयर कोडर्स, टीम कीवी, टीम अविन्या व टीम पिकाचपूल शामिल हैं।
तकनीक के क्षेत्र में छात्राओं को बढ़ावा देने के लिए कशिश वर्मा, इशिका त्यागी, हर्षिता पोखरियाल, ऐश्वर्या डोली व अर्चिशा घनशानी को वूमेन इन्नोवेटर अवार्ड दिया गया। टीम साइबर नाइट्स को एआई आधारित डोनेशन प्लेटफार्म बनाने के लिए ईको सस्टेनेबिलिटी अवार्ड से पुरस्कृत किया गया।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ० नरपिंदर सिंह व प्रो-वाइस चांसलर प्रो. संतोष एस. सर्राफ ने विजेताओं को ट्रॉफी व मेडल दिए।
विशेषज्ञों के तौर पर मौजूद परसिस्टेंट सिस्टम के सीनियर आर्किटेक्ट डॉ. रवि तोमर, ग्राफिक एरा अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग के एचओडी डॉ. गुरदीप सिंह जीते व एलीव8 कैपिटल के ऑपरेटिंग पार्टनर अनिल तनेजा ने प्रतियोगिता में प्रोटोटाइप का निरीक्षण करके विजेताओं का चयन किया।
ग्राफ-ए-थॉन 2.0 का आयोजन ग्राफिक एरा के टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटर (टीबीआई) ने ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी व ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के सहयोग से किया। कार्यक्रम में टीबीआई की चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर सरिश्मा डांगी, इनक्यूबेटर मैनेजर हर्षवर्धन सिंह रावत, अन्य शिक्षक शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
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