ग्राफ-ए-थॉन: दृष्टिहीनों की जिंदगी आसान बनाने की भी कोशिश

ग्राफ-ए-थॉन: दृष्टिहीनों की जिंदगी आसान बनाने की भी कोशिश


देहरादून, 9 मई। युवा वैज्ञानिक दृष्टिहीन लोगों की जिंदगी आसान बनाने के लिए नया ऐप तैयार कर रहे हैं। इसके साथ ही देश के लिए एक क्रिप्टोकरेंसी बनाने, गांव और शहरों को गंदगी मुक्त रखने और डिप्रेशन की जद में आते लोगों को पहचानने वाले ऐप भी तैयार किए जा रहे हैं।

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित ग्राफ-ए-थॉन के दूसरे दिन 16 राज्यों के युवा वैज्ञानिक ऐसे ही नये आइडियों को धरातल पर उतारने में जुटे रहे। देश भर के विभिन्न हिस्सों से आए छात्र-छात्राओं की 80 से ज्यादा टीमें लगातार 72 घंटे कार्य करके आइडियों को सच में बदलने की कोशिश में जुटी हुई हैं। 24 घंटे बीतने के बाद भी ये टीमें सस्टेनेबल व उपयोगी प्रोटोटाइप बना रही हैं। ये टीमें मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य, वंचित बच्चों के लिए शिक्षा, आर्थिक व्यवस्था व अन्य प्रोटोटाइपस पर काम कर रही हैं। ग्राफिक एरा के विशेषज्ञों ने इन युवा वैज्ञानिकों की राह की अड़चनें दूर करने के लिए आज भी उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन देकर राह सुझाई।

कल दोपहर 2 बजे शुरू हुई यह प्रतियोगिता 72 घंटों तक बिना रुके चलेगी। ग्राफिक एरा ने हर वर्ग में विजय टीम को 1 लाख रुपए की इनामी राशि देने की घोषणा की है। स्टार्टअप शुरू करने की इच्छुक विजय टीमों को भी ग्राफिक एरा आर्थिक सहायता देगा।

ग्राफिक एरा ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. कमल घनशाला ने कहा कि हमारे राज्य और देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। युवाओं को उनकी दिलचस्पी और क्षमता से परखकर सही मार्गदर्शन दिया जाए तो वे ऐसे काम भी कर सकते हैं जिनकी कल्पना भी मुश्किल होती है। ग्राफिक एरा के छात्र-छात्राओं व शिक्षकों की नई खोजों और ग्राफिक-ए-थॉन में भागीदारी करने वाले युवा वैज्ञानिकों की उपलब्धियां यही दर्शाती है।

चेयरमैन डॉ. कमल घनशाला ने विश्वास व्यक्त किया कि ग्राफिक एरा का यह प्रयास कई ज्वलंत समस्याओं का समाधान निकालने के साथ ही इन युवाओं को सफलता की राह पर बढ़ाने वाला साबित होगा।

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