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जानसू और सिलक्यारा टनल का हुआ ब्रेकथ्रू, मुख्यमंत्री और रेल मंत्री रहे मौजूद

जानसू और सिलक्यारा टनल का हुआ ब्रेकथ्रू, मुख्यमंत्री और रेल मंत्री रहे मौजूद

उत्तराखंड के लिए 16 अप्रैल का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब राज्य में दो बड़ी सुरंगों – सिलक्यारा और जानसू – का सफलतापूर्वक ब्रेकथ्रू हुआ। ये टनलें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉडगेज रेल परियोजना का हिस्सा हैं, जिन्हें बनाने में निर्माण एजेंसियों ने दिन-रात मेहनत की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद मौके पर पहुंचकर इस ऐतिहासिक पल का गवाह बने और सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों व श्रमिकों को बधाई दी।

देश की सबसे लंबी ट्रांसपोर्टेशन टनल का ब्रेकथ्रू

इस मौके पर भारत की अब तक की सबसे लंबी ट्रांसपोर्टेशन टनल – जानसू टनल – का ब्रेकथ्रू भी हुआ, जो कि लगभग 14.57 किलोमीटर लंबी है। खास बात यह है कि इस सुरंग की खुदाई जर्मनी से मंगाई गई अत्याधुनिक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) ‘शक्ति’ की मदद से की गई, जिसे पहली बार भारत के किसी पहाड़ी क्षेत्र में इस्तेमाल किया गया। 9.11 मीटर व्यास वाली यह सिंगल-शील्ड रॉक टीबीएम अपने तेज और सटीक कार्य के लिए वैश्विक स्तर पर नई मिसाल बनी है।

टनल के साथ वर्टिकल शाफ्ट का निर्माण भी

जनासू से 1.5 किलोमीटर दूर एक वर्टिकल शाफ्ट (कुआं नुमा सुरंग) भी बनाई गई है ताकि खुदाई और निर्माण कार्य में सहयोग मिल सके। यह पूरी परियोजना उत्तराखंड के तीर्थाटन, सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

पहाड़ी इलाकों में रेल कनेक्टिविटी की नई दिशा

सीएम धामी ने कहा कि यह परियोजना उत्तराखंड को रेल नेटवर्क से जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम है। उन्होंने इस उपलब्धि को सभी के परिश्रम, समर्पण और तकनीकी कौशल का परिणाम बताया। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी इसे ऐतिहासिक दिन बताया और याद दिलाया कि 1853 में आज ही के दिन देश की पहली रेल बोरीबंदर से ठाणे के बीच चली थी, और आज जानसू टनल के ब्रेकथ्रू के साथ इतिहास दोहराया गया है।

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