कोटद्वार: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आज कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए तीनों अभियुक्तों – पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता – को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाना), 354 (शील भंग करना) के तहत दोषी करार दिया है।
न्यायालय ने तीनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है और प्रत्येक पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया है। इसके अतिरिक्त अदालत ने अंकिता के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी पारित किया।
मुख्य तथ्य:
- 30 जनवरी 2023 को कोर्ट में सुनवाई आरंभ हुई थी।
- अभियोजन पक्ष की ओर से 500 पृष्ठों का आरोप पत्र दाखिल।
- कुल 97 गवाहों में से 47 प्रमुख गवाहों की गवाही अदालत में हुई।
- सुनवाई करीब 2 वर्ष 8 महीने तक चली।
- अंतिम बहस 19 मई 2025 को समाप्त हुई, फैसला 30 मई को सुनाया गया।
अदालत परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
फैसले के मद्देनज़र कोटद्वार में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। गढ़वाल मंडल के विभिन्न जनपदों से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया। न्यायालय परिसर के बाहर बैरिकेडिंग की गई थी, बावजूद इसके लोगों ने बैरिकेड तोड़कर भीतर घुसने की कोशिश की। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया।
परिजनों की प्रतिक्रिया:
अंकिता के माता-पिता ने अदालत के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि “जिन्होंने हमारी बेटी को बेरहमी से मारा, उन्हें मौत की सजा मिलनी चाहिए थी।” परिजनों ने इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय लिया है।