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गढ़वाल विश्वविद्यालय का संसदीय राजभाषा समिति द्वारा निरीक्षण सम्पन्न

गढ़वाल विश्वविद्यालय का संसदीय राजभाषा समिति द्वारा निरीक्षण सम्पन्न

देहरादून। 08 मई 2025 को हे० न० ब० केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल का निरीक्षण माननीय संसदीय राजभाषा समिति की प्रथम उप समिति द्वारा किया गया। यह निरीक्षण देहरादून के एल. पी. विलास होटल, प्रेमनगर में सम्पन्न हुआ। निरीक्षण सत्र का आयोजन सायं 18:00 बजे से प्रारम्भ हुआ, सर्वोच्च अधिकार प्राप्त माननीय संसदीय राजभाषा समिति की पहली उप समिति की अध्यक्षता समिति के संयोजक माननीय डॉ० दिनेश शर्मा, सांसद (राज्यसभा) ने की।

इस अवसर पर विभिन्न राज्यों से पधारे सांसद उपस्थिति रहे, जिनमें प्रमुख रूप से माला राजलक्ष्मी शाह (सांसद, लोकसभा), रामचंद्र जांगड़ा (सांसद, राज्यसभा), कल्याण बनर्जी (सांसद, लोकसभा), सतपाल ब्रहमचारी (सांसद, लोकसभा), विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी (सांसद, लोकसभा), डॉ० अजित माधवराव गोपछड़े (सांसद, राज्यसभा), तथा किशोरीलाल (सांसद, लोकसभा) शामिल थे।

समिति सचिवालय से प्रेम नारायण (सचिव), इरफान अहमद खान (वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी), अनुप साव (अनुभाग अधिकारी) उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार से अजय कुमार झा (उप निदेशक, राजभाषा), सैय्यद इकराम रिजवी (संयुक्त सचिव, राजभाषा एवं प्रशासन), स्मित शर्मा (कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी) तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से डॉ० मंथा श्रीनिवासु उपस्थित रहे।

निरीक्षण के दौरान विश्वविद्यालय द्वारा राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं उन्नयन हेतु किए गए कार्यों की एक प्रदर्शनी लगाई गई, जिसका अवलोकन माननीय सांसदों द्वारा किया गया। निरीक्षण के दौरान राजभाषा प्रकोष्ठ द्वारा प्रकाशित स्मारिका 2023 एवं 2024 माननीय सांसदों को भेंट की गई, जिसकी सराहना सांसदों द्वारा की गई।

बैठक में हे० न० ब० केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, वित्त अधिकारी तथा राजभाषा प्रकोष्ठ के समन्वयक उपस्थित रहे। बैठक के दौरान यह बात प्रमुखता से कही गई कि राजभाषा हिंदी की संवैधानिक गरिमा के अनुरूप विश्वविद्यालयों में कार्य होना चाहिए तथा सभी कार्यालयों को अपना अधिकतम कार्य हिंदी में करना अनिवार्य है।

चूंकि हे० न० ब० केन्द्रीय विश्वविद्यालय भारत के ‘क’ श्रेणी क्षेत्र में आता है, अतः राजभाषा नीति के अनुसार 100% कार्य हिंदी में किया जाना आवश्यक है। समिति द्वारा यह भी निर्देशित किया गया कि हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं का अधिकाधिक आयोजन किया जाए।

यह उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय की स्थापना एवं केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद यह पहला अवसर था जब माननीय संसदीय राजभाषा समिति द्वारा निरीक्षण किया गया। यह विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस अवसर पर माननीय कुलपति महोदय को हार्दिक बधाई दी गई।

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