उत्तराखंड के किसानों की समस्याओं का ICAR-IISWC ने खोजा समाधान

उत्तराखंड के किसानों की समस्याओं का ICAR-IISWC ने खोजा समाधान

देहरादून, 3 जून 2025: उत्तराखंड के पर्वतीय किसानों की चुनौतियों को दूर करने और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, ICAR–भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), देहरादून ने विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA) 2025 की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत संस्थान ने देहरादून जिले के सहसपुर और कालसी ब्लॉकों के 521 किसानों से सीधा संवाद किया।

इस संवाद का उद्देश्य किसानों की कृषि संबंधी समस्याओं को समझना और उनके समाधान के लिए वैज्ञानिक उपायों को लागू करना है।

मुख्य समस्याएं जो सामने आईं:

  • कंकरीली मृदा और वर्षा आधारित खेती के कारण कम उत्पादकता
  • वन्यजीवों द्वारा फसल नुकसान, जिससे किसानों को भारी क्षति
  • गुणवत्तापूर्ण बीज और नस्लों की कमी
  • कीट व रोग प्रबंधन में तकनीकी जानकारी की कमी
  • खराब संचार और विपणन नेटवर्क
  • सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव

इन समस्याओं के चलते क्षेत्र में युवाओं और किसानों के बीच पलायन की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जिससे स्थानीय कृषि व्यवस्था पर खतरा मंडरा रहा है।

वैज्ञानिक समाधान और पहल:

ICAR-IISWC ने बहुविषयक वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों की टीमें गठित कर रणनीतिक समाधान लागू करने शुरू किए हैं। इन टीमों में सिंचाई, मृदा स्वास्थ्य, एग्रोफॉरेस्ट्री, पशुपालन, महिला सशक्तिकरण और पोषण जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं।

प्रमुख वैज्ञानिकों में डॉ. आर.के. सिंह, डॉ. अम्बरीश कुमार, डॉ. लेखचंद, डॉ. डीवी सिंह, डॉ. चरण सिंह, डॉ. मुरुगानंदम, डॉ. बैंकय बिहारी सहित अन्य शामिल हैं। इन्हें तकनीकी अधिकारियों और सहायक तकनीकी कर्मचारियों का भी सक्रिय सहयोग प्राप्त हो रहा है।

नेतृत्व और अभियान की अवधि:

इस 15 दिवसीय अभियान (29 मई से 12 जून 2025) का नेतृत्व ICAR-IISWC के निदेशक डॉ. एम. मधु कर रहे हैं। उनके साथ डॉ. बैंकय बिहारी, डॉ. मुरुगानंदम, अनिल चौहान, इंजीनियर अमित चौहान और प्रवीण तोमर प्रमुख समन्वयक हैं।

भविष्य की दिशा:

VKSA 2025 अभियान के माध्यम से संस्थान खरीफ फसल योजना में सुधार, मानसून पूर्व तैयारी, और ज्ञान-आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। इस पहल का उद्देश्य उत्तराखंड की पहाड़ियों में कृषि को सतत और लाभकारी बनाना है, जिससे किसानों की आजीविका सुरक्षित और सशक्त हो सके।

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