आईआईएसडब्ल्यूसी ने VKSA-2025 के अंतर्गत खरीफ मौसम में मृदा एवं जल संरक्षण आधारित फसल-विशिष्ट कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया

आईआईएसडब्ल्यूसी ने VKSA-2025 के अंतर्गत खरीफ मौसम में मृदा एवं जल संरक्षण आधारित फसल-विशिष्ट कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया

देहरादून, 12 जून 2025:
भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), देहरादून ने विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA)-2025 के अंतर्गत खरीफ मौसम के लिए मृदा एवं जल संरक्षण पर आधारित फसल-विशिष्ट कृषि पद्धतियों (PoPs) को बढ़ावा दिया। यह अभियान 29 मई से 12 जून तक चला और अंतिम दिन संस्थान ने टिकाऊ कृषि, लाभप्रदता और संसाधनों के संरक्षण को केंद्र में रखते हुए वैज्ञानिक कृषि तकनीकों के प्रचार पर विशेष बल दिया।

इस दौरान संस्थान की छह विशेषज्ञ टीमों ने देहरादून जिले के 17 गांवों का भ्रमण कर लगभग 800 किसानों को धान, मक्का, मंडुआ, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, अदरक, हल्दी और विभिन्न सब्जियों की वैज्ञानिक खेती हेतु स्थान-विशेष परामर्श दिया। किसानों को उच्च उपज वाली किस्में जैसे पूसा बासमती-1509, कंचन-25 (मक्का), और वीएल-379 (मंडुआ) अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।

मृदा और जल संरक्षण के दृष्टिकोण से, चौड़ी पत्तियों वाली फसलें जैसे मक्का, उड़द व हल्दी और नाइट्रोजन स्थिरीकरण वाली दलहनी फसलें जैसे लोबिया, फ्रेंच बीन्स को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई। साथ ही ढालू भूमि पर खेती के लिए आड़े-तिरछे रोपण तथा बंजर भूमि पर बाँस लगाने जैसे उपाय सुझाए गए।

अभियान के दौरान ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन भी किया गया, और युवाओं को संस्थान के सेलाकुई फार्म स्थित ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

इस व्यापक कार्यक्रम का नेतृत्व संस्थान के निदेशक डॉ. एम. मधु ने किया। उनके मार्गदर्शन में डॉ. एम. मुरुगानंदम, डॉ. बांके बिहारी, श्री अनिल चौहान, इं. अमित चौहान सहित अन्य वैज्ञानिकों और तकनीकी अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

VKSA-2025 का उद्देश्य जलवायु-लचीली, टिकाऊ और वैज्ञानिक कृषि प्रणाली को बढ़ावा देना है, ताकि किसानों का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध बनाया जा सके।

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