विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA)-2025 के तहत 8 जून 2025 को ICAR–भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), देहरादून की वैज्ञानिक टीमों ने देहरादून जनपद के सात ब्लॉकों के 24 गांवों का दौरा कर खरीफ फसलों से जुड़ी समस्याओं का मूल्यांकन किया और किसानों को स्थान-विशेष तकनीकी सलाह दी।
दौरान कई जमीनी समस्याएं सामने आईं — डोईवाला में गन्ना किसानों ने सुसवा नदी के प्रदूषण के कारण सिंचाई संकट की शिकायत की, वहीं शुगर मिल द्वारा खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और भुगतान में देरी भी किसानों की चिंता रही। गन्ने में पत्तियों का पीला पड़ना, जल तनाव, पोषक तत्वों की कमी और वायरस के लक्षण भी प्रमुख मुद्दे बने।
पास के इलाकों में हो रहे बालू खनन से धूल और अवसादन की समस्या ने फसल उत्पादकता को प्रभावित किया। पशुपालन में कृत्रिम गर्भाधान में बाधाएं, कम दूध उत्पादन और एजेंसियों के कमजोर समर्थन की भी बात सामने आई। साथ ही, मुर्गीपालन, मछली पालन और बकरी पालन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
सामान्य समस्याएं जो सामने आईं:
- वन्यजीवों द्वारा फसलों को नुकसान
- गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट्स की उपलब्धता में असमानता
- सीमित फसल विविधीकरण
- धान, गन्ना, मक्का, उरद, अदरक आदि में रोग और कीट प्रकोप
- उत्पादों के विपणन में कठिनाइयां
- मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन में सहयोग की कमी
इन समस्याओं पर वैज्ञानिकों ने कीट व रोग नियंत्रण, पोषण, पशुपालन, और फसल विविधीकरण संबंधी व्यावहारिक सलाह दी। किसानों को संपर्क बिंदु भी प्रदान किए गए ताकि आगे भी तकनीकी सहयोग मिलता रहे।
दौरे में शामिल प्रमुख वैज्ञानिक और गांव: डॉ. एम. मुरुगानंदम, डॉ. डी.वी. सिंह, डॉ. बैंकय बिहारी, इंजीनियर एस.एस. श्रीमाली, डॉ. विभा सिंघल, डॉ. श्रीधर पात्रा और डॉ. अनुपम बहर ने साहसपुर, रायपुर, कालसी, विकासनगर, बहादराबाद, भगवानपुर और डोईवाला ब्लॉकों के गांवों में भाग लिया।
इस एक दिन में वैज्ञानिकों ने कुल 745 किसानों को वैज्ञानिक जानकारी और खरीफ फसल पर तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया। किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में भी जागरूक किया गया।
VKSA-2025 मिशन, जो 29 मई से 12 जून 2025 तक चल रहा है, का उद्देश्य किसानों को जलवायु-लचीली, विविधीकृत और टिकाऊ कृषि प्रणाली अपनाने हेतु प्रशिक्षित करना है। इस अभियान का समन्वयन डॉ. एम. मधु (निदेशक) के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।