देहरादून: उत्तराखंड में राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के जरिए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया कि कई संस्थाओं ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति हासिल की। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विशेष जांच टीम (SIT) के गठन का आदेश दे दिया है।
17 संस्थाओं में गड़बड़ी की पुष्टि
2021-22 और 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य की 92 शिक्षण संस्थाएं शक के घेरे में हैं, जिनमें से 17 संस्थाओं पर छात्रवृत्ति गबन का आरोप सिद्ध हुआ है। कुछ संस्थाओं ने छात्रों की संख्या, पहचान पत्र और दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया है। उधम सिंह नगर के सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल, किच्छा और रुद्रप्रयाग के वासुकेदार संस्कृत महाविद्यालय जैसे संस्थानों में अनियमितताएं पाई गई हैं।
सरस्वती शिशु मंदिर को मदरसा दिखाकर मिली छात्रवृत्ति
सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल को राष्ट्रीय पोर्टल पर मदरसा दर्शाकर मुस्लिम छात्रों की छात्रवृत्ति हासिल की गई। विद्यालय का संचालन मोहम्मद शारिक-अतीक के नाम पर दिखाया गया है और वहां 154 मुस्लिम छात्रों के नाम दर्ज हैं। जबकि विद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान के रूप में मान्य नहीं है।
CM धामी बोले – दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रवृत्ति जैसे कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार करने वालों को कड़ी सजा मिलेगी। SIT अब दोषी संस्थाओं के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करेगी।
72 कॉलेजों में फिर से होगा दस्तावेज सत्यापन
प्रदेश के 72 कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के दस्तावेजों की दोबारा जांच की जाएगी। पहले राउंड में 17 संस्थानों में फर्जीवाड़े की पुष्टि हो चुकी है। जांच का दायरा अब और बढ़ाया जा रहा है।
क्या है अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना?
यह योजना केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित है, जिसके तहत कक्षा 1 से लेकर उच्च शिक्षा स्तर तक के छात्रों को फीस और भत्तों के रूप में वित्तीय सहायता मिलती है। योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक छात्रों को शिक्षा में प्रोत्साहन देना है।