श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर द्वारा आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम “AI and MOOCs: Redefining Digital Pedagogy for the Future of Learning” का आज सफल समापन हुआ। इस एक सप्ताहीय कार्यक्रम ने उच्च शिक्षा में डिजिटल नवाचार और शिक्षण–अधिगम की नई संभावनाओं को रेखांकित किया।
अंतिम दिवस पर प्रातः डॉ. के. थियागु, , सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कर्नाटक ने “AI Tools for Education” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित टूल्स शिक्षकों के लिए सामग्री निर्माण, मूल्यांकन तथा छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार अधिगम अनुभव को अनुकूल बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने चैटबॉट्स, ए.आई .आधारित मूल्यांकन प्रणाली और इंटेलिजेंट ट्यूटरिंग सिस्टम जैसे उदाहरणों से प्रतिभागियों को अवगत कराया।
इसके उपरांत डॉ. थियागु ने ही “Learner Centered Content Development” विषय पर सत्र लिया। उन्होंने समझाया कि आधुनिक शिक्षा में सामग्री केवल शिक्षक-केंद्रित न होकर शिक्षार्थी-केंद्रित होनी चाहिए। मॉड्यूलर डिजाइन, इंटरैक्टिव वीडियो, क्विज़ और केस स्टडी के माध्यम से अधिगम को अधिक सजीव व आकर्षक बनाने के उपाय बताए।
लंच ब्रेक के बाद डॉ. निराधर, आई.जी.एन.यू(IGNOU), नई दिल्ली ने “Structuring Online Module for MOOCs” विषय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि MOOCs (Massive Open Online Courses) को संरचित करने के लिए किस प्रकार कंटेंट सीक्वेंसिंग, लर्निंग आउटकम्स, असेसमेंट पैटर्न और डिजिटल लर्निंग टूल्स का समन्वय आवश्यक है। उन्होंने IGNOU के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि गुणवत्तापूर्ण मॉड्यूल तैयार करने से ग्रामीण और शहरी दोनों पृष्ठभूमियों के विद्यार्थी लाभान्वित हो सकते हैं।
अंतिम तकनीकी सत्र में डॉ. निराधर ने “Exploring MOOCs Design through SWAYAM” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने SWAYAM प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से विकसित विभिन्न कोर्सेज़, उनकी संरचना, पंजीकरण प्रक्रिया और विद्यार्थियों के अधिगम अनुभव पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे SWAYAM शिक्षण को लोकतांत्रिक बनाते हुए देश के हर कोने तक गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा पहुँचाने का महत्वपूर्ण माध्यम है।
समापन सत्र में डीन, फैकल्टी ऑफ आर्ट्स एवं प्रभारी कैंपस निदेशक ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम विश्वविद्यालय के शिक्षकों और शोधार्थियों को डिजिटल शिक्षा के वैश्विक मानकों से जोड़ते हैं और शिक्षण में गुणवत्ता को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध होंगे।
डीन, फैकल्टी ऑफ साइंस प्रो. एस. पी. सती ने अपने उद्बोधन में कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और MOOCs जैसे डिजिटल साधन शिक्षा की पहुँच को विस्तृत करने के साथ-साथ अनुसंधान में भी नवीन अवसर उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे इस ज्ञान को अपने कक्षाओं और अनुसंधान में व्यावहारिक रूप से लागू करें।
कोर्स कोऑर्डिनेटर प्रो. अटल बिहारी त्रिपाठी ने इस सात दिवसीय FDP की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने सभी सत्रों का संक्षिप्त विवरण देते हुए बताया कि कैसे प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से प्रश्न पूछकर और चर्चा में भाग लेकर इस कार्यक्रम को सार्थक बनाया। उन्होंने सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त किया और आयोजन टीम के परिश्रम को सराहा।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की निदेशक प्रो. अनीता तोमर ने कहा कि यह कार्यक्रम सभी प्रतिभागियों के लिए नए विचारों की खोज, अनुभव साझा करने और ए.आई.( AI), एम.ओ.ओ.सी.एस.( MOOCs) तथा डिजिटल पैडागॉजी जैसे विषयों पर गहन विमर्श का सशक्त मंच साबित हुआ। उन्होंने कहा कि इस एफडीपी ने न केवल शैक्षणिक संवर्द्धन का अवसर प्रदान किया, बल्कि बदलते उच्च शिक्षा परिदृश्य में शिक्षकों की भूमिका को पुनःपरिभाषित करने की प्रेरणा भी दी है। प्रो. तोमर ने कुलपति, डीनगण और विश्वविद्यालय प्रशासन का निरंतर सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए आयोजन टीम, समन्वयक, सह-समन्वयक और सभी संसाधन व्यक्तियों के साथ प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यहां अर्जित ज्ञान शिक्षण, अनुसंधान और शैक्षणिक गतिविधियों को और सशक्त करेगा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिकारीगण, फैकल्टी सदस्य, शोधार्थी तथा प्रतिभागी उपस्थित रहे।
