ऋषिकेश, 13 अगस्त 2025
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर द्वारा आयोजित “ए.आई. एवं एम.ओ.ओ.सी.एस के माध्यम से डिजिटल शिक्षण का विकास” विषयक एक सप्ताहीय संकाय विकास कार्यक्रम के तीसरे दिन प्रतिभागियों ने आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस , इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, शिक्षण-अनुसंधान में डिजिटल नवाचार एवं उससे जुड़े उन्नत विषयों पर गहन चर्चा एवं प्रशिक्षण प्राप्त किया।
दिन की शुरुआत डॉ. जी. जैकुलिन प्रिया, चेयर – सेंटर फॉर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, लोयोला इंस्टिट्यूट ऑफ़ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन, चेन्नई, तमिलनाडु के सत्र “एआई टूल्स एवं प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग” से हुई। इस सत्र में प्रतिभागियों को प्रभावी प्रॉम्प्ट निर्माण, संवादात्मक एआई के उन्नत प्रयोग, एआई आधारित समाधान और शिक्षण में एआई के प्रयोग के व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराया गया।
दूसरे सत्र में डॉ. गौरव मीणा, विभाग – कंप्यूटर विज्ञान, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ राजस्थान ने “इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स” विषय पर प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने आईओटी के तकनीकी ढांचे, मूलभूत अवधारणाओं, स्मार्ट डिवाइस नेटवर्किंग, शिक्षा एवं अनुसंधान में इसके उपयोग के नवीनतम रुझानों और स्मार्ट तकनीकों के उदाहरणों पर विस्तृत चर्चा की।
तीसरे सत्र में प्रो. शिखा गुप्ता, असिस्टेंट डीन अकादमिक अफेयर्स, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने “आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस: अकादमिक एवं अनुसंधान में नवाचार और अनुप्रयोग” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि कैसे एआई उच्च शिक्षा में शोध की गुणवत्ता को बढ़ा रहा है और शिक्षण को अधिक व्यक्तिगत एवं प्रभावी बना रहा है। उन्होंने एआई के नवीन शोध रुझानों, डेटा एनालिटिक्स, और उच्च शिक्षा में एआई के एकीकृत प्रयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
दिन का अंतिम सत्र (3:30–5:00 बजे) डॉ. दिव्या श्रीवास्तव, सह-संस्थापक, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब्स, अजमेर, राजस्थान द्वारा “क्राफ़्ट, क्यूरेट, कैप्टिवेट: हर शिक्षक के लिए आवश्यक एआई टूल्स” पर केंद्रित रहा। इसमें प्रतिभागियों ने पाठ्य सामग्री निर्माण, प्रेज़ेंटेशन डिज़ाइन और छात्र सहभागिता को प्रभावी बनाने के लिए कई उन्नत एआई टूल्स का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
कार्यक्रम के दौरान फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की निदेशक प्रो. अनीता तोमर ने कहा, “यह प्रशिक्षण न केवल हमारे शिक्षण पद्धतियों को तकनीकी रूप से सशक्त करेगा, बल्कि प्रतिभागियों को वैश्विक शैक्षिक मानकों के अनुरूप नई सोच और नवाचार अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।” फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर के समन्वयक अतल बिहारी त्रिपाठी ने कहा, “एआई और डिजिटल उपकरण अब भविष्य की नहीं, बल्कि वर्तमान की आवश्यकता हैं। ऐसे कार्यक्रम शिक्षकों को बदलते डिजिटल परिदृश्य में प्रासंगिक और प्रभावी बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।” दिनभर चले इन ज्ञानवर्धक सत्रों में देशभर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों से आए प्रतिभागियों ने सक्रिय भागीदारी की और विशेषज्ञों से संवाद कर अपने अनुभव व दृष्टिकोण साझा किए।