हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा “हिंदी साहित्य में शोध की प्रविधि, प्रक्रिया एवं संभावनाएं” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं पौड़ी परिसर के पूर्व निदेशक प्रोफेसर श्यामधर तिवारी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. गुड्डी बिष्ट पंवार ने पुष्पगुच्छ एवं शॉल पहनाकर उनका स्वागत किया । अपने स्वागत भाषण में प्रोफेसर पंवार ने प्रोफेसर तिवारी की विश्वविद्यालय में 45 वर्षों की अमूल्य सेवाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन में अनेक विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने अपने जीवन को नई दिशा प्रदान की।
अपने उद्बोधन में प्रो. तिवारी ने कहा कि हिंदी साहित्य में शोध केवल तथ्यों का संकलन नहीं, बल्कि एक सृजनात्मक और आलोचनात्मक दृष्टि है। उन्होंने शोध में प्राथमिक और द्वितीयक स्रोतों के महत्व, ग्रंथ-परीक्षण, परंपरा और नवीनता के संतुलन पर प्रकाश डाला। साथ ही यह भी बताया कि शोधार्थियों को साहित्यिक परिप्रेक्ष्य के साथ सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों पर भी गहन दृष्टि रखनी चाहिए। डिजिटल माध्यमों और अंतरविषयक दृष्टिकोणों को उन्होंने आधुनिक शोध की नई संभावनाओं के रूप में रेखांकित किया।
धन्यवाद भाषण में प्रोफेसर मंजुला राणा ने प्रोफेसर तिवारी के कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपने अथक परिश्रम से हिंदी विभाग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
कार्यक्रम में डॉ. अनूप सेमवाल, डॉ. कपिल देव पंवार, डॉ. सविता मैठाणी सहित अनेक शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शुभम थपलियाल ने किया।
यह व्याख्यान हिंदी साहित्य के शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायी और ज्ञानवर्धक रहा, जिसमें शोध की बारीकियों और संभावनाओं पर गहन चर्चा हुई।