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श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में एआई और एमओओसीएस पर केंद्रित प्रशिक्षण, विशेषज्ञों ने डिजिटल शिक्षा के भविष्य पर किया मंथन

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में एआई और एमओओसीएस पर केंद्रित प्रशिक्षण, विशेषज्ञों ने डिजिटल शिक्षा के भविष्य पर किया मंथन

ऋषिकेश, 14 अगस्त 2025 – श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर में “एआई एवं एमओओसीएस के माध्यम से डिजिटल शिक्षा का विकास” विषय पर एक सप्ताहीय संकाय विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत बुधवार को आयोजित सत्रों में शिक्षण-अनुसंधान में डिजिटल नवाचार, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, एमओओसीएस, SWAYAM प्लेटफ़ॉर्म और जेनरेटिव एआई टूल्स जैसे उन्नत विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।

पहले सत्र में डॉ. निराधर (आईजीएनयू, नई दिल्ली) ने “NEP-2020 on Digital Education” विषय पर व्याख्यान देते हुए डिजिटल शिक्षा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के मूल में बताया। उन्होंने ई-कंटेंट निर्माण, ब्लेंडेड लर्निंग और तकनीक-संवर्धित मूल्यांकन पद्धतियों के महत्व पर प्रकाश डाला।

दूसरे सत्र में डॉ. निराधर ने “SWAYAM and Its Framework” विषय पर SWAYAM प्लेटफ़ॉर्म की संरचना, एमओओसीएस की विशेषताएं, क्रेडिट ट्रांसफ़र और शिक्षकों के लिए उपलब्ध अवसरों की विस्तृत जानकारी दी।

भोजनावकाश के बाद, तीसरे सत्र में प्रो. प्रवीण कुमार शुक्ल (डीन, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी, लखनऊ) ने “AI and MOOCs: Redefining Digital Pedagogy for the Future of Learning” पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि एआई व्यक्तिगत शिक्षण को संभव बनाकर शिक्षा को वैश्विक स्तर पर अधिक सुलभ और लचीला बना रहा है।

चौथे सत्र में प्रो. सुमाथी एस (विभागाध्यक्ष, आईटी, सेंट जोसेफ़्स कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, चेन्नई) ने “Empowering Educators with Generative AI: Tools and Techniques” विषय पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने चैटबॉट्स, कंटेंट क्रिएशन प्लेटफ़ॉर्म और इंटेलिजेंट असेसमेंट टूल्स के व्यावहारिक उपयोग के उदाहरण प्रस्तुत किए।

फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की निदेशक प्रो. अनीता तोमर ने कहा कि “नई शिक्षा नीति-2020 के तहत डिजिटल शिक्षा का सफल क्रियान्वयन तभी संभव है जब शिक्षक तकनीकी दक्षता और नवाचारपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाएं।” कार्यक्रम के समन्वयक अतल बिहारी त्रिपाठी ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण शिक्षकों को समयानुकूल तकनीकी और शैक्षणिक उपकरणों से सशक्त बनाते हैं।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी और विभिन्न संस्थानों से आए शिक्षक सक्रिय रूप से शामिल हुए और विशेषज्ञों से संवाद स्थापित किया।

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