नई टिहरी। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में चल रहे फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का चौथा दिन शिक्षकों के लिए बेहद ज्ञानवर्धक और प्रेरक रहा। “Empowering Educators through IPR Literacy and Innovation” थीम पर आधारित इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) की जानकारी देना, शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करना तथा उन्हें व्यावहारिक उपकरण उपलब्ध कराना है।
दिन की शुरुआत डॉ. रितेश माथुर (विशेषज्ञ वैज्ञानिक एवं पेटेंट पोर्टफोलियो मैनेजर, मोमेंटिव परफॉर्मेंस मैटेरियल्स, बेंगलुरु) के सत्र से हुई। उन्होंने “पेटेंट योग्य शोध की पहचान, दावों का प्रारूपण और पेटेंट डेटाबेस नेविगेशन” विषय पर विस्तार से जानकारी दी। प्रतिभागियों ने पेटेंट प्रक्रिया के कानूनी और तकनीकी पहलुओं को समझा और शोध को पेटेंट योग्य बनाने के तरीके सीखे।
इसके बाद सुश्री मुस्कान रस्तोगी (रजिस्टर्ड पेटेंट एजेंट) ने “पेटेंट विरोध और रद्दीकरण” पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने वास्तविक उदाहरणों और कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से पेटेंट विवादों के प्रबंधन और अनुसंधान की सुरक्षा के उपायों पर प्रकाश डाला। अपने तीसरे सत्र में उन्होंने पेटेंट व्यावसायिकीकरण, लाइसेंसिंग और मुकदमेबाजी पर विस्तृत जानकारी दी।
दिन का अंतिम सत्र डॉ. दिव्या श्रीवास्तव (सह-संस्थापक, एआई रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब्स) द्वारा लिया गया, जिसमें उन्होंने शैक्षिक अनुसंधान में एआई का उपयोग, शोध अखंडता और बौद्धिक संपदा संरक्षण पर सरल और व्यावहारिक जानकारी दी। प्रतिभागियों ने एआई टूल्स के माध्यम से शोध डेटा की सुरक्षा और शोध प्रक्रिया को आधुनिक व प्रभावी बनाने के उपायों पर गहरी रुचि दिखाई।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की गणित विभागाध्यक्ष एवं फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की निदेशक प्रो. अनीता तोमर ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम शिक्षकों को न केवल नया ज्ञान प्रदान करते हैं बल्कि उनके शोध और नवाचार कौशल को भी सशक्त बनाते हैं। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. सीमा बेनीवाल ने किया।
पूरे दिन के सत्रों ने शिक्षकों को व्यावहारिक कौशल, कानूनी समझ और तकनीकी जानकारी प्रदान कर विश्वविद्यालय में शोध, नवाचार और बौद्धिक संपदा अधिकार साक्षरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।