श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के थलीसैण विकासखंड के कई गांवों में भालू का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। भालू न केवल ग्रामीणों के मवेशियों को शिकार बना रहा है, बल्कि स्कूली बच्चों और आम लोगों की सुरक्षा को भी खतरा पैदा कर रहा है। अब तक दो दर्जन से अधिक मवेशी भालू के शिकार हो चुके हैं।
ग्रामीणों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने इस भालू को आदमखोर घोषित कर अंतिम विकल्प के रूप में मारने के निर्देश जारी किए हैं।
कैबिनेट मंत्री की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक
शनिवार को कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में उनके यमुना कॉलोनी स्थित शासकीय आवास पर वन विभाग की बैठक आयोजित हुई। इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में गढ़वाल वन प्रभाग की पैठाणी रेंज के अंतर्गत आने वाले कुंडिल, कुचोली, सौंठ, कठयूड़, कुठ और खण्डतल्ला गांवों में भालू के आतंक पर विस्तार से चर्चा हुई।
भालू को पकड़ने के लिए तय हुई रणनीति
बैठक में वन विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि ग्रामीणों को जल्द राहत दी जाए। प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) ने भालू के आतंक से निपटने के लिए तीन चरणों की कार्ययोजना तैयार की है—
- सबसे पहले पिंजरे लगाकर भालू को सुरक्षित पकड़ने का प्रयास होगा।
- असफल होने पर भालू को ट्रैंक्यूलाईज कर पकड़ा जाएगा।
- यदि दोनों प्रयास विफल रहते हैं, तो ग्रामीणों की सुरक्षा को देखते हुए अंतिम विकल्प के रूप में भालू को नष्ट किया जाएगा।
“ग्रामीणों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता” – कैबिनेट मंत्री
कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा, “ग्रामीणों और बच्चों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। जनता भयमुक्त जीवन जी सके, इसके लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।”
बैठक में मौजूद रहे
बैठक में अपर सचिव वन सी. रवि शंकर, प्रमुख वन संरक्षक रंजन कुमार मिश्रा, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे।