एम्स ऋषिकेश में 2.73 करोड़ का घोटाला, पूर्व निदेशक और 2 सहयोगियों पर CBI का शिकंजा

एम्स ऋषिकेश में 2.73 करोड़ का घोटाला, पूर्व निदेशक और 2 सहयोगियों पर CBI का शिकंजा

देहरादून: एम्स ऋषिकेश एक बार फिर बड़े घोटाले की वजह से सुर्खियों में है। यहां 2.73 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. रविकांत, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के तत्कालीन एडिशनल प्रोफेसर डॉ. राजेश पसरीचा और तत्कालीन स्टोर कीपर रूप सिंह पर सीबीआई ने शिकंजा कसा है।

क्या है मामला?

आरोप है कि इन अधिकारियों ने ठेकेदार कंपनी मेसर्स प्रो मेडिक डिवाइसेस के साथ मिलकर कोरोनरी केयर यूनिट (CCU) की स्थापना में करोड़ों की हेराफेरी की।

  • सीसीयू की निविदा से जुड़ी फाइलें गायब कर दी गईं।
  • 16 बिस्तरों वाले सीसीयू का काम अधूरा छोड़ा गया और कई उपकरण या तो घटिया क्वालिटी के मिले या फिर बिल्कुल ही नदारद थे।
  • स्टॉक रजिस्टर में दीवार और छत पैनल, मॉनिटर और एयर प्यूरीफायर दर्ज थे, लेकिन उनकी वास्तविक आपूर्ति नहीं हुई।

इसके बावजूद ठेकेदार को 2.73 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया।

कानूनी कार्रवाई

सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 468 और 471 (जालसाजी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 13(1)(d), 13(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया है। अगर आरोप साबित होते हैं तो दोषियों को 7 से 10 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।

एम्स की साख पर धक्का

यह घोटाला न केवल सरकारी धन की लूट को उजागर करता है, बल्कि मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ का भी मामला है। जिस सीसीयू में गंभीर हृदय रोगियों का इलाज होना था, वहां अधूरा काम छोड़कर करोड़ों की बंदरबांट कर दी गई।

गौरतलब है कि एम्स ऋषिकेश, जिसे कभी उत्तराखंड और आसपास के राज्यों के लिए उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं का केंद्र माना जाता था, अब बार-बार घोटालों की वजह से सुर्खियों में आ रहा है। सीबीआई अब तक तीन बड़े मामलों में मुकदमा दर्ज कर चुकी है।