देहरादून: उत्तराखंड में आने वाले वर्षों में बिजली की मांग तेज़ी से बढ़ने वाली है। अंतरराष्ट्रीय परामर्शदाता कंपनी मैकेंजी ग्लोबल (McKinsey Global) की नवीनतम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अगले सात वर्षों में प्रदेश की बिजली की मांग लगभग दोगुनी हो जाएगी।
इस रिपोर्ट के आधार पर अब राज्य सरकार और उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने बिजली की उपलब्धता बढ़ाने की विस्तृत योजना तैयार करनी शुरू कर दी है।
मैकेंजी ग्लोबल को सौंपी गई थी जिम्मेदारी
मुख्य सचिव ऊर्जा आर. मीनाक्षी सुंदरम ने प्रदेश की वर्तमान और भविष्य की बिजली की जरूरतों का अध्ययन करने की जिम्मेदारी मैकेंजी ग्लोबल को सौंपी थी।
कंपनी ने यूपीसीएल, ऊर्जा निगमों और अन्य राज्यों के तुलनात्मक आंकड़ों का विश्लेषण कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।
केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (CEA) ने भी माना है कि आने वाले वर्षों में उत्तराखंड में बिजली की मांग तेज़ी से बढ़ेगी।
बिजली की बढ़ती मांग — आंकड़ों में देखें
| वर्ष | बिजली मांग (मेगावाट) |
|---|---|
| 2019 | 2216 |
| 2020 | 2233 |
| 2021 | 2372 |
| 2022 | 2468 |
| 2023 | 2594 |
| 2024 | 2635 |
| 2025 | 2863 |
मैकेंजी के अनुसार, 2032 तक यह मांग 4400 मेगावाट से अधिक पहुंच सकती है।
2026 से 2032 तक बिजली की अनुमानित मांग (MW)
| वर्ष | CEA अनुमान | मैकेंजी अनुमान | औसत अनुमान |
|---|---|---|---|
| 2026 | 3072 | 3124 | 3035 |
| 2027 | 3249 | 3402 | 3217 |
| 2028 | 3435 | 3664 | 3410 |
| 2029 | 3623 | 3922 | 3614 |
| 2030 | 3847 | 4105 | 3831 |
| 2031 | 4094 | 4255 | 4004 |
| 2032 | 4159 | 4403 | 4184 |
अभी इतनी है बिजली की उपलब्धता
UPCL के अनुसार राज्य में वर्तमान में 3308 मेगावाट के पावर परचेज एग्रीमेंट्स (PPA) हैं।
इनमें शामिल हैं —
- कोयला आधारित संयंत्र: 533 मेगावाट
- एटॉमिक ऊर्जा: 46 मेगावाट
- गैस आधारित: 390 मेगावाट
- बायोमास: 52 मेगावाट
- हाइड्रो: 1970 मेगावाट
- हाइब्रिड: 100 मेगावाट
- सोलर: 217 मेगावाट
इसके अतिरिक्त टीएचडीसी के पंप स्टोरेज प्लांट से 200 मेगावाट बिजली प्राप्त होगी।
भविष्य की योजना — 2029-30 तक लक्ष्य 4218 मेगावाट
प्रदेश सरकार ने 2029-30 तक बिजली की उपलब्धता 4218 मेगावाट करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत —
- कोयला आधारित संयंत्र से 26 मेगावाट अतिरिक्त
- हाइड्रो से 438 मेगावाट अतिरिक्त
- सोलर से 309 मेगावाट अतिरिक्त बिजली जोड़ी जाएगी।
सरकार की प्राथमिकता — स्वच्छ और सतत ऊर्जा
ऊर्जा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार, राज्य की नीति स्वच्छ ऊर्जा और आत्मनिर्भर बिजली उत्पादन पर केंद्रित है।
सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में सौर और जल विद्युत उत्पादन को बढ़ाकर न केवल राज्य की जरूरत पूरी की जाए, बल्कि अतिरिक्त बिजली का निर्यात भी किया जा सके।