जम्मू-कश्मीर के हस्तशिल्प, कृषि, पर्यटन और स्थानीय उत्पादों के लिए बड़ी राहत — जीएसटी दर 12% से घटाकर 5%
जम्मू-कश्मीर के पारंपरिक उत्पादों, हस्तशिल्प, कृषि और पर्यटन क्षेत्र में जीएसटी दरों में कमी से नई ऊर्जा आई है। जीआई-टैग प्राप्त पश्मीना शॉल, डोगरा पनीर और बसोहली पेंटिंग जैसे विरासत उत्पाद अब वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन गए हैं।
सुधार की बयार: नीति से प्रगति तक
जम्मू के तपते मैदानों से लेकर कश्मीर की बर्फीली चोटियों तक, अब विकास की नई कहानी लिखी जा रही है। जीएसटी सुधार केवल एक कर नीति नहीं, बल्कि यह रोजगार, उत्पादन और निवेश को बढ़ाने का अवसर है।
यह बदलाव औद्योगिक विविधीकरण, पर्यटन संवर्धन और ग्रामीण उत्थान के लक्ष्यों से मेल खाता है। अब हस्तशिल्प और कृषि जैसे पारंपरिक क्षेत्र फिर से आर्थिक विकास के केंद्र में हैं।
हथकरघा और हस्तशिल्प को मिली राहत
कढ़ाई, पेपर-मेसी, लकड़ी की नक्काशी, आभूषण और रेशमी कालीन — जम्मू-कश्मीर की पहचान हैं। यह क्षेत्र 3.5 लाख से अधिक लोगों को रोज़गार देता है, जिनमें 45% महिलाएं हैं।
अब जीएसटी दर 12% से घटकर 5% होने से ये उत्पाद अधिक सस्ते और प्रतिस्पर्धी होंगे। इससे बिक्री, निर्यात और रोजगार — तीनों में वृद्धि की उम्मीद है।
पेपर-मेसी और विलो विकर उद्योग को नया जीवन
कश्मीर का प्रसिद्ध विलो विकर और पेपर-मेसी शिल्प अब कम जीएसटी दर से लाभान्वित होंगे।
श्रीनगर, बडगाम और गांदरबल जैसे केंद्रों के छोटे व्यापारियों को भी इससे राहत मिलेगी।
यह बदलाव पारंपरिक उद्योगों की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और आजीविका सुरक्षित करने की दिशा में अहम कदम है।
कानी शॉल और पश्मीना का वैश्विक विस्तार
कनिहामा के लगभग 5,000 बुनकर अब कम कर दर का सीधा लाभ उठाएंगे।
पश्मीना शॉल की कीमतें घटने से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और मशीन निर्मित नकली उत्पादों के खिलाफ स्थानीय बुनकरों की स्थिति मजबूत होगी।
बसोहली पेंटिंग को मिला नया बाजार
कठुआ जिले की प्रसिद्ध जीआई-टैग वाली बसोहली पेंटिंग अब अधिक सस्ती होगी।
जीएसटी 12% से घटकर 5% होने से इन कलाकृतियों की मांग बढ़ेगी और स्थानीय कलाकारों की आजीविका मजबूत होगी।
अखरोट और क्रैन की लकड़ी के शिल्पों को प्रोत्साहन
कश्मीर की लकड़ी की नक्काशी विश्व प्रसिद्ध है।
जीएसटी में कटौती से बडगाम और श्रीनगर के ग्रामीण कारीगरों को लाभ मिलेगा।
इससे घरेलू बिक्री और निर्यात दोनों में बढ़ोतरी की उम्मीद है, साथ ही पारंपरिक कौशल को संरक्षण भी मिलेगा।
कृषि और बागवानी क्षेत्र में नई ऊर्जा
अखरोट और बादाम उत्पादन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
अखरोट उद्योग सालाना ₹120 करोड़ का व्यापार करता है और 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता है।
जीएसटी में कमी से किसानों को बेहतर मूल्य, बढ़ी हुई मांग और निर्यात में विस्तार का लाभ मिलेगा।
कश्मीरी बादाम पैकेजिंग उद्योग को राहत
भारत के बादाम उत्पादन में जम्मू-कश्मीर की हिस्सेदारी 91% से अधिक है।
जीएसटी दर में कमी से उत्पादन लागत घटेगी, लाभ मार्जिन बढ़ेगा और निर्यात सस्ता होगा।
यह उद्योग लगभग 5,500 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देता है।
पर्यटन और होटल उद्योग में बढ़ी उम्मीदें
जम्मू-कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करती है।
पर्यटन जीडीपी में 15% योगदान देता है और लगभग 70,000 लोगों को रोजगार देता है।
अब ₹7,500 तक के होटल टैरिफ पर जीएसटी 12% से घटकर 5% हो गया है, जिससे यात्रा और ठहराव दोनों अधिक किफायती होंगे।
उधमपुर का डोगरा पनीर बनेगा ग्लोबल ब्रांड
डोगरा चीज़ (कलाड़ी पनीर), जम्मू की विशिष्टता, को जीएसटी में राहत मिली है।
दर घटने से स्थानीय डेयरी उत्पादकों की लागत कम होगी और निर्यात की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
यह पारंपरिक डेयरी उत्पाद अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ बनकर उभरेगा।
सार
जीएसटी में 12% से घटाकर 5% करने से जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली है।
यह सुधार केवल कर में राहत नहीं, बल्कि विरासत से विकास तक की यात्रा को सशक्त बनाता है —
जहां कारीगर, किसान और उद्यमी सभी को समान रूप से लाभ मिल रहा है।
Related posts:
- देहरादून से दुबई पहुँचे गढ़वाली सेब, किंग रोट सेब की पहली खेप ने खोला निर्यात का दरवाज़ा
- भारत ने हिमालय में पैदा हुए जैविक बाजरा का डेनमार्क को निर्यात शुरू किया
- अनुच्छेद 370 बना इतिहास, मोदी सरकार के फैसले पर लगी ‘सुप्रीम’ मुहर
- उत्तराखंड के स्थानीय उत्पाद अब दुनियाभर के बाजारों तक पहुंचेंगे, कैबिनेट बैठक में नई नीति को मिली मंजूरी
- खरगे की बिगड़ी तबीयत, बोले- ‘मैं तब तक नहीं मरूंगा, जब तक मोदी…
- वैष्णो देवी तीर्थ क्षेत्र में भगदड़ में 12 लोगों की मौत, जांच के आदेश दिए गए