देहरादून। उत्तराखंड में कैंसर उपचार के क्षेत्र में श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल, देहरादून ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने हड्डी के कैंसर (ऑस्टियोसारकोमा) से पीड़ित मरीज के शरीर में मौजूद अब तक के सबसे बड़े बोन ट्यूमरों में से एक को सफलतापूर्वक निकालते हुए उसका पैर बचाने में सफलता प्राप्त की है। यह जटिल सर्जरी वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ. अजीत तिवारी के नेतृत्व में की गई।
वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ. अजीत तिवारी ने बताया कि मरीज ऑस्टियोसारकोमा नामक गंभीर हड्डी के कैंसर से पीड़ित था। ट्यूमर का आकार अत्यंत बड़ा होने के कारण पैर काटने की आशंका काफी अधिक थी। मरीज इससे पहले कई बड़े कैंसर अस्पतालों में परामर्श ले चुका था, जहां सर्जरी को असंभव बताते हुए केवल कीमोथेरेपी को ही विकल्प बताया गया था।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में विस्तृत जांच और मल्टीडिसिप्लिनरी टीम की चर्चा के बाद लिंब-सेल्वेज सर्जरी का निर्णय लिया गया। सर्जरी से पूर्व डॉ. रचित आहूजा और डॉ. देबंजन (रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट) की देखरेख में मरीज को नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी दी गई, जिससे बीमारी को नियंत्रित किया जा सका।
इसके बाद लिंब-प्रिजर्विंग कैंसर सर्जरी के माध्यम से ट्यूमर को पूरी तरह निकालते हुए मरीज का पैर सुरक्षित रखा गया। यह अत्यंत जटिल सर्जरी डॉ. अजीत कुमार तिवारी (सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट), डॉ. शिफा (हड्डी रोग विशेषज्ञ) और डॉ. निशिथ गोविल (ऑन्को एनेस्थीसिस्ट) की टीम द्वारा सफलतापूर्वक की गई।
सर्जरी के बाद मरीज की हालत तेजी से सुधर रही है। सभी टांके हटाए जा चुके हैं और मरीज अब बिना किसी सहारे के चलने लगा है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि यह सफलता उत्तराखंड में उन्नत कैंसर उपचार की बढ़ती क्षमता को दर्शाती है।
यह सर्जरी उत्तराखंड में लिंब-प्रिजर्विंग बोन कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही है और गंभीर बोन कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए आशा की नई किरण बनकर सामने आई है।