देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) के ऐतिहासिक ड्रिल स्क्वायर में आज 157वीं पासिंग आउट परेड का भव्य आयोजन किया गया। गौरव, परंपरा और सैन्य गरिमा से ओत-प्रोत इस अवसर पर अधिकारी कैडेट्स को भारतीय सेना में कमीशन प्रदान किया गया। यह समारोह अकादमी के आदर्श वाक्य “वीरता और विवेक” तथा कैडेट्स के कठोर प्रशिक्षण, अनुशासन और अदम्य साहस का सशक्त प्रतीक रहा।
थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने परेड की समीक्षा की और नव-नियुक्त अधिकारियों को सफल प्रशिक्षण पूर्ण करने पर बधाई दी। उन्होंने युवा अधिकारियों के उच्च अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और सहनशक्ति की सराहना करते हुए कहा कि सेना में कमीशन प्राप्त करना केवल प्रशिक्षण की समाप्ति नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति आजीवन कर्तव्य और निस्वार्थ सेवा की शुरुआत है।
इस अवसर पर 157वें रेगुलर कोर्स, 46वें टेक्निकल एंट्री स्कीम, 140वें टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स, 55वें स्पेशल कमीशंड ऑफिसर्स कोर्स तथा टेरिटोरियल आर्मी ऑनलाइन एंट्रेंस एग्ज़ाम 2023 कोर्स के कुल 525 अधिकारी कैडेट्स के साथ 14 मित्र राष्ट्रों के 34 विदेशी अधिकारी कैडेट्स को कमीशन प्रदान किया गया। यह समारोह भारत के रक्षा नेतृत्व को मजबूत करने के साथ-साथ मित्र देशों के साथ सैन्य सहयोग को भी सुदृढ़ करता है।
परेड के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स को सम्मानित किया गया। स्वॉर्ड ऑफ ऑनर एवं स्वर्ण पदक (मेरिट में प्रथम) एसीए निश्कल द्विवेदी को प्रदान किया गया। रजत पदक बीयूओ बादल यादव और कांस्य पदक एसयूओ कमलजीत सिंह को मिला। टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स में मेरिट में प्रथम स्थान के लिए ऑफिसर कैडेट जाधव सुजीत संपत तथा टेक्निकल एंट्री स्कीम–46 में प्रथम स्थान के लिए डब्ल्यूसीसी अभिनव मेहरोत्रा को रजत पदक प्रदान किया गया। स्पेशल कमीशन ऑफिसर कोर्स का रजत पदक ऑफिसर कैडेट सुनील कुमार छेत्री को दिया गया। विदेशी कैडेट्स में मेरिट में प्रथम स्थान का पदक बांग्लादेश के जेयूओ मोहम्मद सफ़ीन अशरफ को मिला। ऑटम टर्म 2025 में सर्वश्रेष्ठ समग्र प्रदर्शन के लिए इम्फाल कंपनी को थल सेना प्रमुख बैनर से सम्मानित किया गया।
समारोह के साक्षी बने गर्वित अभिभावक, परिजन, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और विशिष्ट अतिथि। पारंपरिक ‘अंतिम पग’ के साथ परेड का समापन हुआ, जब नव-नियुक्त अधिकारी राष्ट्र की संप्रभुता, सम्मान और मूल्यों की रक्षा के संकल्प के साथ आगे बढ़े।
157वें कोर्स के साथ भारतीय सैन्य अकादमी ने एक बार फिर राष्ट्र के लिए साहस, पेशेवर दक्षता और अटूट समर्पण से नेतृत्व करने वाले अधिकारियों के निर्माण की अपनी गौरवशाली परंपरा को और मजबूत किया।