केंद्र सरकार ने शासन प्रणाली से औपनिवेशिक मानसिकता को हटाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए कई महत्वपूर्ण सरकारी भवनों के नाम बदल दिए हैं। अधिकारियों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) वाले नए कॉम्प्लेक्स का नाम अब ‘सेवा तीर्थ’ होगा। यह कॉम्प्लेक्स निर्माण के अंतिम चरण में है। पहले इसे सेंट्रल विस्टा री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत ‘एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव’ के नाम से जाना जाता था।
‘सेवा तीर्थ’ नाम का महत्व
‘तीर्थ’ शब्द पवित्रता, सेवा और समर्पण का सूचक है। सरकार का मानना है कि यह नाम प्रशासनिक निर्णयों के साथ-साथ जनसेवा की भावना को भी दर्शाता है। अधिकारियों के अनुसार, नए नामों का उद्देश्य ‘राज’ की जगह ‘लोक’ और ‘सेवा’ की भावना को प्राथमिकता देना है।
नए PMO कॉम्प्लेक्स के साथ—कैबिनेट सेक्रेटेरिएट, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट और इंडिया हाउस के कार्यालय भी इसी परिसर में होंगे।
अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शासन से जुड़े स्थानों को कर्तव्य, पारदर्शिता और सेवा के मूल्यों से जोड़ने के लिए यह परिवर्तन किया जा रहा है।
राजभवनों के नाम भी बदले
हाल ही में गृह मंत्रालय ने 25 नवंबर 2025 को एक नोटिफिकेशन जारी कर देशभर के राजभवनों का नाम बदलकर ‘लोकभवन’ और राज निवास का नाम ‘लोक निवास’ रखने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य जनता केंद्रित प्रशासन को बढ़ावा देना है।
पहले भी हुए बड़े नाम परिवर्तन
केंद्र सरकार ने इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण स्थानों और मार्गों के नाम बदले थे, जिनमें शामिल हैं—
- राजपथ → कर्तव्य पथ
- प्रधानमंत्री आवास → लोक कल्याण मार्ग (2016)
- सेंट्रल सेक्रेटेरिएट → कर्तव्य भवन
इन बदलावों के पीछे सरकार की मंशा शासन में जिम्मेदारी, सेवा और कर्तव्य को प्रमुखता देना रही है।