महाविद्यालय कोटद्वार में अध्यात्म विज्ञान की प्रासंगिकता विषय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन

महाविद्यालय कोटद्वार में अध्यात्म विज्ञान की प्रासंगिकता विषय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन

रेनबो न्यूज़ इंडिया * 1 अगस्त 2021

कोटद्वार। आज एक अगस्त को गणित विभाग राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार तथा देवभूमि विचार मंच द्वारा “भारतीय अध्यात्म विज्ञान की वर्तमान में प्रासंगिकता” विषय एक दिवसीय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। 

गूगल मीट एवं यूट्यूब के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ संयोजक डॉ० तृप्ति दीक्षित के संचालन से शुरू हुआ। कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ प्रणव चतुर्वेदी तथा वैभव चतुर्वेदी द्वारा मां शारदा की वंदना प्रस्तुति से हुआ। 

कार्यक्रम में डॉ० तृप्ति दीक्षित ने सभी का स्वागत किया और वेबीनार के विषय से आगंतुकों को परिचित कराया। उन्होंने बताया कि भारतीय अध्यात्मिक दर्शन में ही  विज्ञान समाया है तथा अध्यात्म को परिभाषित करते हुए बताया कि “अपने-अपने चेतन तत्व का दर्शन अथवा अपने आत्म की पहचान ही अध्यात्म है और अध्यात्म दर्शन में ही विज्ञान समाया है।”

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो० ए डी एन बाजपेई (कुलपति, अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर, छत्तीसगढ़) ने अपने व्याख्यान में बताया कि भारतवर्ष की समस्त पूंजी उसकी आध्यात्मिक संपदा है तथा आध्यात्मिकता को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि आत्मा की विशेषताओं को जीवन में लाने की अथवा आचरण में लाने की प्रक्रिया ही आध्यात्मिकता है। उन्होंने बताया कि जीवन में प्रदर्शन,नाटक तथा आडंबर व्यक्ति को आध्यात्मिकता से दूर लेकर जाते हैं।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो० निलिम्प त्रिपाठी (महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय भोपाल, मध्य प्रदेश) ने बताया किस प्रकार से सत्य बोलने से आनंद की सहज अनुभूति होती है तथा कामनाओं की गांठ से विमुक्तता ही आध्यात्मिकता की ओर व्यक्ति को अग्रसर करती है। 

अन्य विशिष्ट वक्ता डॉ० ललित नारायण मिश्रा (सचिव हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण, उत्तराखंड) ने आधुनिक विज्ञान में हमारे ग्रंथों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि निर्विचार होना ही आध्यात्मिकता है तथा जीवन में तर्पण का विशेष महत्व है जो कि हमारे वर्तमान में परिलक्षित होता है। 

कार्यक्रम की अध्यक्ष महाविद्यालय प्राचार्या प्रो० जानकी पंवार ने बताया कि किस प्रकार कोविड-19 ने संपूर्ण विश्व को सबक दिया है कि जीवन का अर्थ मात्र भौतिक आकांक्षा या कामनाएं नहीं है। यह आकांक्षाएं तथा कामनाएं जीवन के वास्तविक उद्देश्यों से परे हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान एवं भारतीय शास्त्रों में उक्त ज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

कार्यक्रम की संचालक डॉ० तृप्ति दीक्षित जी ने समस्त विशिष्ट अतिथियों, वक्ताओं तथा आगंतुकों का हृदय से आभार व्यक्त किया तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री भगवती प्रसाद राघव (क्षेत्रीय संयोजक प्रज्ञा प्रवाह) जी का विशेष आभार व्यक्त किया। यह विचार गोष्ठी मुख्य अतिथि डॉ० धन सिंह रावत  उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखंड सरकार के आशीर्वाद वचनों के साथ संपन्न हुई।

Please share the Post to: