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इस हर्बल धूप का धुआं कर देगा कोरोना वायरस का काम तमाम! BHU की स्टडी का बड़ा दावा

इस हर्बल धूप का धुआं कर देगा कोरोना वायरस का काम तमाम! BHU की स्टडी का बड़ा दावा

रेनबो न्यूज़ इंडिया *30 जनवरी 2022

कोरोना और ओमीक्रोन वायरस के खतरे के बीच बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के रिसर्चर्स ने इलाज के क्षेत्र में नए उपचार का दावा किया है। बीएचयू के रिसर्चर्स ने पाया है कि एयरवैद्य हर्बल धूप के धुएं की विषाणु रोधी, जीवाणु रोधी और सूजन रोधी विशेषताएं वायु के माध्यम से फैलने वाले संक्रमण को रोकने में प्रभावी हो सकती हैं। एमिल फॉर्मास्युटिकल द्वारा निर्मित एयरवैद्य में 19 औषधीय पौधों से प्राप्त ‘फाइटोकेमिकल’ (पौधों में पाये जाने वाले विभिन्न जैव सक्रिय रसायन) शामिल किये गये हैं, जो कोरोना वायरस का मुकाबला करने में अपने संभावित उपचारात्मक प्रभावों को लेकर जाने जाते हैं।

एयरवैद्य धूप में राल, नीम पत्र, वास, अजवाइन, हल्दी, लेमनग्रास (लामज्जका), वाच, तुलसी, पीली सरसों, सफेद चंदन, उशीर, गुग्गल, नगरमोठ, मेहंदी, टागर, लोबान, कर्पूर, जिगत और इलायची का चूर्ण शामिल किये गए हैं। अनुसंधान दल का नेतृत्व करने वाले बीएचयू के इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज के रस शास्त्र (आयुर्वेद) विभाग के प्रोफेसर डॉ. केआरसी रेड्डी ने कहा, ‘हालांकि, धूपन, का उल्लेख सदियों से आयुर्वेद में इसकी सूक्ष्मजीव रोधी, कवक रोधी, विषाणु रोधी क्षमताओं को लेकर किया गया है, पर कोविड-19 के मामले बढ़ने की पृष्ठभूमि में यह प्रथम वैज्ञानिक अध्ययन है।’

डॉ. रेड्डी ने कहा कि अध्ययन में शामिल किये गये लोगों को दो समूहों में विभाजित किया किया, हस्तक्षेप समूह (150 लोगों का) और नियंत्रित समूह (100 लोगों का)। चूंकि कोरोना वायरस मानव के अंदर नाक और मुंह से प्रवेश करता है, ऐसे में औषधीय धुआं उपचार प्रथम समूह के लोगों को उपलब्ध कराया गया। उनसे एयरवैद्य हर्बल धूप के धुएं को दिन में दो बार 10 मिनट सांस के जरिए अंदर खींचने को कहा गया, जबकि दूसरे समूह को ऐसा उपचार उपलब्ध नहीं कराया गया।

डॉ. रेड्डी ने कहा, ‘इसके उत्साहवर्धक नतीजे सामने आए। प्रथम समूह में महज चार प्रतिशत में औषधीय उपचार के बाद बुखार, खांसी, सर्दी या स्वाद या गंध का पता नहीं चलने जैसे कोविड के लक्षण देखे गये।’ उन्होंने कहा, ‘वहीं दूसरी ओर, कम से कम से 37 प्रतिशत लोगों में, जिन्हें इस तरह का उपचार नहीं दिया गया, कोविड जैसे लक्षण पाये गये।’ उन्होंने कहा कि यह धुआं रासायनक रूप से भी कीटों पर प्रथम चरण के क्लिनिकल परीक्षण में सुरक्षित पाया गया है।

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