रेनबो न्यूज़ इंडिया * 21 अप्रैल 2022
कोटद्वार (गढ़वाल)। राजकीय महाविद्यालय कोटद्वार भाबर में आईक्यूएसी प्रकोष्ठ (IQAC) के बैनर तले बौद्धिक सम्पदा अधिकार विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें विषय विशेषज्ञों ने विचार रखे।
कॉलेज आईक्यूएसी प्रकोष्ठ एवं भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग आन्तरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डी वी आई आई टी) के संयुक्त तत्वाधान में बौद्धिक सम्पदा अधिकार गुरूवार को कार्यशाला आयोजित की गई।
महाविद्यालय प्राचार्य प्रो० विजय कुमार अग्रवाल ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। आयोजित कार्यशाला एवं आईकयूएसी के संयोजक डॉ० विनय देवलाल ने कार्यशाला के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही उन्होंने छात्रों को इसके महत्व के बारे में बताया। उन्होंने आई पी आर जागरूकता के विषय में जिज्ञासा उत्पन्न करने को लेकर चर्चा की। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में आई पी आर देश के विकास हेतु आवष्यक है। कार्यशाला के मुख्य वक्ता मो० अतिकउल्ला, सहायक नियंत्रक, डीवीआईआईटी ने देश के युवाओं में रचनात्मकता के साथ-साथ नवाचार, अनुसंधान तथा विकास के मार्ग के रूप में बौद्धिक सम्पदा को शक्तिशाली शस्त्र के रूप में प्रयोग करने पर जोर दिया।
विषय विशेषज्ञ ने भारत में बौद्धिक सम्पदा अधिकार संस्कृति को मजबूत बनाने के लिए नवाचार पर जानकारी दी। जिसमें उन्होंने आई0पी0 फाईलिंग, आई पी अनुदान तथा आई पी निपटान आदि सम्बन्धित सुधारों का उल्लेख किया।
उन्होने कहा कि साहित्य, विज्ञान तथा कला सभी में नवाचार व अविष्कारों का सृजन कर तथा सांस्कृतिक विरासतों को सरंक्षित कर इसको लेकर सजग रहने पर जोर दिया। उन्होने नवाचार शिक्षा तथा उद्योग तथा आईपीआर पंजीकरण के बीच सामंजस्य को भी महत्वपूर्ण बताया तथा बौद्धिक सम्पदा अधिकार विभिन्न आई पी तथा उसके शासकीय निकायों के विषय में जानकारी दी एवं इनके महत्व के बारे में बताया।
साथ ही उन्होंने पेटेंट प्रकिया एवं पंजीकरण के बारे में जानकारी दी। पेटेंट और डिजाईन के क्षेत्र में शैक्षिक संस्थाओं के लिए अनेको योजनायें एवं विषेशाधिकार प्राप्ति पर प्रकाश डाला गया तथा बौद्धिक सम्पदा से जुडे- पेटेंट, डिजाईन, ट्रेडमार्क, कॉपीराईट, आदि पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने उत्तराखण्ड के भौगोलिक, संस्कृतिक संकेतको के पंजीकरण के महत्व भी बतायें।
डॉ० उषा सिंह ने बताया की प्रोद्योगिकी के युग में बौद्धिक सम्पदा की प्रासंगिकता के साथ बौद्धिक सम्पदा से सम्बन्धित प्रणालीयों की भूमिका अहम हो गई है। इसलिए छात्र-ंछात्राओं को इसके महत्व को समझना अति आवश्यक है।
कार्यक्रम के समापन पर प्राचार्य प्रो० विजय कुमार अग्रवाल ने सभी प्रतिभागियों तथा मुख्य वक्ता को धन्यवाद दिया और आई पी आर कार्यशाला के बहुउपयोगिताओं को अपनी संस्कृति ज्ञान व अविष्कारों को पहचान दिलवाने में आवश्यक बताया। साथ ही नवीन भारत निर्माण, ज्ञान व अविश्कारों की रक्षा कर समृद्ध भारत बनाने में महत्वपूर्ण कदम बताया। उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए आई पी आर के प्रासांगिक पहलुओं के प्रति जागरूक रहने के लिए भी प्रेरित किया।
कार्यशाला का संचालन डॉ० उषा सिंह ने किया जिसमें उत्तराखण्ड व अन्य राज्यों के लगभग 250 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।
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