आज के आधुनिक तकनीकी दौर में पर्यावरण और समाज के लिए भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक कचरा बड़े खतरे के तौर पर सामने आ रहा है। इस इलेक्ट्रॉनिक कचरे के प्रबंधन, एकत्रीकरण और पुनर्चक्रण के मामले में उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर है। राज्य में 51541.12 मीट्रिक टन ई-कचरे को रिसाइकिल किया जा रहा है।
यह आंकड़ा राज्य में ई-कचरे को रिसाइकिल करने की क्षमता से आधे से भी कम है। राज्य में 1.58 लाख मीट्रिक टन ई-कचरे के पुनर्चक्रण की क्षमता है। यानी और अधिक कोशिशों से उत्तराखंड के पास ई-कचरे को रिसाइकिल करने के मामले में देश में नंबर एक बनने का अवसर भी है।
राज्यसभा में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के आधार पर दी गई जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड ने महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु सरीखे बड़े राज्यों को पीछे छोड़ा है। हिमालयी राज्यों में हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर ई-कचरा एकत्र करने और रिसाइकिल करने के मामले में बहुत पीछे है।
सभी राज्यों पर लागू है ई-कचरा के दिशा-निर्देश
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के लिए ई-कचरा के एकत्रीकरण, प्रबंधन और पुनर्चक्रण के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश विद्युत व इलेक्ट्रॉनिक कचरे के उत्पादक, निर्माता, उपयोगकर्ता और पुनर्चक्रण और इसके थोक उपभोक्ता पर लागू होते हैं।
ई-कचरा एकत्र करने वाले टॉप टेन राज्य – रैंक राज्य एकत्र व पुनर्चक्रित कचरा
1 हरियाणा 245015.82 (मीट्रिक टन)
2 उत्तराखंड 51541.12
3. तेलंगाना 42297.68
4. कर्नाटक 39150.63
5. तमिलनाडु 31143.77
6. गुजरात 30569.32
7. पंजाब 28375.27
8. राजस्थान 27998.77
9. महाराष्ट्र 18559.30
10. केरल 1249.61
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