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पीएचडी छात्र-छात्राओं में बढ़ता मानसिक तनाव: चिंता का विषय

पीएचडी छात्र-छात्राओं में बढ़ता मानसिक तनाव: चिंता का विषय

आज के युग में शिक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्र-छात्राएं पीएचडी जैसे चुनौतीपूर्ण कार्यक्रमों में भी भाग ले रहे हैं। लेकिन इस सफलता की राह में कई बाधाएं भी हैं, जिनमें से एक है मानसिक तनाव। यह तनाव छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य और जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। आईआईटी (IIT) कॉलेज भारत के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक हैं। इन संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए छात्रों को कड़ी मेहनत और प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। आईआईटी (IIT) में अध्ययन का दबाव, सामाजिक जीवन में बदलाव, और भविष्य की अनिश्चितता के कारण छात्रों में सोसाइट केस बढ़ रहे हैं।

मानसिक तनाव के कुछ प्रमुख कारण:

अकादमिक दबाव : पीएचडी कार्यक्रम में सफलता प्राप्त करने के लिए छात्र-छात्राओं पर अत्यधिक दबाव होता है। उन्हें शोध कार्य, प्रकाशन, और सम्मेलनों में भाग लेने जैसी कई जिम्मेदारियों को पूरा करना होता है।

वित्तीय समस्याएं : पीएचडी छात्रों को अक्सर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है। छात्रवृत्ति और stipend अपर्याप्त होते हैं, और उन्हें अपनी शिक्षा के साथ-साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी निभाना होता है।

अकेलापन और सामाजिक अलगाव : पीएचडी छात्र-छात्राएं अक्सर अपने परिवार और दोस्तों से दूर रहते हैं। उन्हें अपने शोध कार्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सामाजिक जीवन त्यागना पड़ता है, जिससे वे अकेलापन और सामाजिक अलगाव महसूस करते हैं।

अनिश्चित भविष्य : पीएचडी पूरी करने के बाद भी छात्र-छात्राओं को अपनी भविष्य की नौकरी और करियर को लेकर चिंता होती है।

मानसिक तनाव के परिणाम:

एकाग्रता में कमी : तनाव के कारण छात्र-छात्राओं की एकाग्रता में कमी आती है, जिससे वे अपने शोध कार्य पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं।

अवसाद और चिंता : तनाव के कारण छात्र-छात्राओं में अवसाद और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
आत्महत्या: अत्यधिक तनाव के कारण कुछ छात्र-छात्राएं आत्महत्या का भी कदम उठा सकते हैं।

समाधान:

मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच : पीएचडी छात्र-छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक आसानी से पहुंच प्रदान की जानी चाहिए।

समर्थन समूह : छात्र-छात्राओं के लिए समर्थन समूह बनाए जाने चाहिए, जहां वे अपनी समस्याओं और चिंताओं को साझा कर सकें।

वित्तीय सहायता : छात्र-छात्राओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए, ताकि वे शिक्षा और जीवन के बीच बेहतर संतुलन बना सकें।

अकादमिक सलाह : छात्र-छात्राओं को अकादमिक सलाह और मार्गदर्शन प्रदान किया जाना चाहिए, ताकि वे अपने शोध कार्य में सफलता प्राप्त कर सकें।

यह जरूरी है कि हम पीएचडी छात्र-छात्राओं में बढ़ते मानसिक तनाव की समस्या को गंभीरता से लें और इसके लिए उचित समाधान खोजें। शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का साधन नहीं है, बल्कि एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने का भी साधन है।

गगन बंसल
शोध छात्र, यांत्रिकी अभियांत्रिकी विभाग
आईआईटी (बी एच यू) वाराणसी
सहायक प्रोफेसर, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय, देहरादून

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