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उत्तराखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर लगाम के लिए डीजीपी अभिनव कुमार ने गठित की पांच सदस्यीय समिति

उत्तराखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर लगाम के लिए डीजीपी अभिनव कुमार ने गठित की पांच सदस्यीय समिति

देहरादून: उत्तराखंड में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने और उनके खिलाफ हो रहे अपराधों पर प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अभिनव कुमार ने एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करने का निर्णय लिया है। इसके तहत उन्होंने बुधवार को उत्तराखंड के पुलिस उप महानिरीक्षक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, पी. रेणुका देवी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है।

डीजीपी अभिनव कुमार ने बताया कि यह समिति राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की प्रकृति, अपराध दर, संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान, ऐसे अपराधों की रिपोर्टिंग, जांच की स्थिति और अदालत में नतीजों सहित विभिन्न पहलुओं पर व्यापक अध्ययन करेगी। इसके बाद समिति एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी जिसमें अपराध पीड़ितों को उपलब्ध सहायता और सेवाओं के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।

समिति का काम केवल अपराधों का अध्ययन करना ही नहीं, बल्कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिस द्वारा की जा रही कार्यवाही, समाज में जागरूकता का स्तर, और प्रभावी अपराध नियंत्रण के लिए जिलों में आवश्यक ढांचागत और मानव संसाधन की आवश्यकताओं का भी आकलन करना होगा।

इसके अलावा, डीजीपी ने धार्मिक जुलूसों और धरना/प्रदर्शनों के दौरान आम जनता को होने वाली असुविधा को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखंड के सभी जिला प्रभारियों को संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के साथ समन्वय स्थापित कर, जन सुविधा एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि इन आयोजनों से अस्पतालों और शिक्षण संस्थानों का संचालन बाधित न हो और न ही मरीजों और छात्रों को किसी प्रकार की कठिनाई हो।

डीजीपी ने आयोजनों के लिए समय सीमा निर्धारित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि निर्धारित समय से अधिक समय तक एकत्र होने को अवैध घोषित किया जा सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि आयोजनों की अनुमति देने से पहले अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि आम जनता का सामान्य जीवन प्रभावित न हो।

अंत में, डीजीपी ने सलाह दी कि धरना और प्रदर्शन जैसे आयोजनों के लिए मार्ग निर्धारित करते समय उपर्युक्त चिंताओं को ध्यान में रखा जाए और सरकारी कार्य दिवसों पर आयोजनों की अनुमति न दी जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे आयोजनों की अनुमति यथासंभव सरकारी छुट्टियों पर दी जाए और निर्धारित स्थलों पर ही आयोजित किए जाने चाहिए।

यह कदम राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने और जनता की सामान्य दिनचर्या को प्रभावित किए बिना शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।

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