देहरादून: उत्तराखंड में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सीमाओं के दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में आवारा कुत्तों को कैनाइन डिस्टेंपर वायरस के खिलाफ टीका लगाया जाएगा, ताकि यह बीमारी रिजर्व के बाघों और हाथियों को संक्रमित न करे। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) के निदेशक साकेत बडोला ने कहा कि टीकाकरण अभियान वन्यजीवों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित पायलट परियोजना के हिस्से के रूप में चलाया जाएगा।
कैनाइन डिस्टेंपर एक संक्रामक और गंभीर बीमारी है जो कुत्तों के श्वसन, जठरांत्र और तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। बडोला ने कहा कि यह अभियान उत्तराखंड में वन और वन्यजीव प्रबंधन को बढ़ावा देगा और बाघों और हाथियों दोनों के संरक्षण में मदद करेगा। सीटीआर निदेशक ने कहा कि यह भारत सरकार के राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन की एक परियोजना है, उन्होंने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य देश के वन्यजीवों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के तरीकों पर काम करना है।
उन्होंने बताया कि रिजर्व के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार का पशु चिकित्सा विभाग और उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) कॉर्बेट की सीमा के दो किलोमीटर के भीतर के गांवों में आवारा कुत्तों की संयुक्त रूप से जांच और टीकाकरण करेगा। इसमें आईवीआरआई की टीम कुत्तों के रक्त के नमूने लेकर उनमें कैनाइन डिस्टेंपर वायरस के प्रसार की जांच करेगी। बडोला ने बताया कि केंद्र ने इस परियोजना के लिए तीन साल की अवधि के लिए 2.7 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।