देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को देहरादून के रेंजर्स ग्राउंड में उत्तराखंड के पहले सौर मेले, दो दिवसीय ‘सौर कौथिग’ का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं और पहलों पर प्रकाश डाला गया। मुख्यमंत्री ने पीएम सूर्याघर योजना, मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना और सौर वॉटर हीटर योजना के लाभार्थियों को अनुदान चेक वितरित किए।
मुख्यमंत्री ने यूपीसीएल मुख्यालय में सौर ऊर्जा आधारित भित्ति चित्र का अनावरण करते हुए, सौर ऊर्जा की जागरूकता फैलाने के लिए एक सौर वैन को हरी झंडी दिखाई। यह वैन अगले 100 दिनों तक राज्यभर में घूमकर सौर ऊर्जा से संबंधित जानकारी और लाभों का प्रचार करेगी। मुख्यमंत्री ने मेले में विभिन्न स्टालों का दौरा कर सौर ऊर्जा से जुड़े उत्पादों और नवाचारों का अवलोकन किया।
सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा पर्यावरण के लिए अनुकूल है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने का सबसे अच्छा विकल्प है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2030 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन और 2070 तक कार्बन तटस्थता के लक्ष्य को दोहराया। राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक नई सौर ऊर्जा नीति लागू की है।
सब्सिडी और योजनाओं का लाभ
सभी सरकारी भवनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जा रहे हैं और छतों पर सौर प्रतिष्ठानों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से 70% सब्सिडी दे रही हैं। पीएम सूर्याघर योजना के तहत, लगभग 11,000 लाभार्थियों को 90 करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान वितरित किया गया है। इसके अलावा, सोलर वाटर हीटर पर घरेलू और गैर-घरेलू उपयोग के लिए 30-50% सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है।
स्वरोजगार के लिए मुख्यमंत्री सौर योजना
मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के माध्यम से राज्य के स्थायी निवासियों को सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इस योजना का लक्ष्य 2026 तक 250 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्र स्थापित करना है।
सौर ऊर्जा में प्रगति और भविष्य की दिशा
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पिछले सात महीनों में उत्तराखंड ने 23 मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की है। उन्होंने 365 सौर विक्रेताओं को मान्यता दिए जाने और 10 किलोवाट तक के सौर सिस्टम को तकनीकी आकलन से छूट दिए जाने की घोषणा भी की।
‘सौर कौथिग’ कार्यक्रम से राज्य में सौर ऊर्जा क्षेत्र के विकास को गति मिलने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि यह मेला सौर ऊर्जा के प्रति जनता को जागरूक करेगा और उत्तराखंड को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम योगदान देगा।